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मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

तकनीक और जानकरी से अपने आप को योग्‍य और कुशल बनाएं - योगेंद्र

"मीडिया क्षेत्र में कार्यरत सभी लोगो को बदलते वक्त की तकनीक के  मुताबिक अपने आप को ढालने की जरुरत है ताकि वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल रोजाना के कार्यों में  करते हुए वह बेहतर  परिणाम दे सकें . चाहे वह क्षेत्र फिल्म , कैमरा , फोटोग्राफी , एडिटिंग या अन्य क्षेत्र ही  क्यों न हो. हर जगह रोज बदलती तकनीक ने अपना कमाल दिखाना  शुरू कर दिया है, इसलिए मीडिया के विद्यार्थियों को भी कहिये वह अपने क्षेत्र की नयी तकनीक और जानकरी हासिल कर के अपने आप को पूरी तरह से योग्य और कुशल  बनाये ताकि उनका निष्पादन , गुणवत्ता पूर्ण साबित  हो सके . " 
यह बात दूरदर्शन के सेवा निवृत चीफ प्रोडूसर और देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों के मुख्य मीडिया प्रिशिक्षक श्री योगेंदर नाथ जौहरी ने गुरु नानक खालसा कॉलेज के जनसंचार एवं मीडिया प्रोदोयोगिकी विभाग के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय मीडिया वर्कशॉप के समापन अवसर पर मीडिया विद्यार्थियों  को संबोधित करते हुए कहे . श्री जौहरी ने कहा की सच्चा विद्यार्थी वही है  जो जरुरत की बातों को मन  लगा कर सीखे और अपना ज्ञान बढ़ा सके ताकि उस ज्ञान और अनुभव के  आधार पर विद्यार्थी अपने जीवन का मजबूती से निर्माण कर सके . वर्क शॉप के अंतिम दिन श्री जौहरी ने मीडिया विद्यार्थियों  को कैमरों के संचालन की बारीकियों और अन्य पहलुओ पर विस्तार से जानकारी दी. इस से पूर्व इस वर्कशॉप की शुरवात देश के जाने माने विडियो और फोटोग्राफर डी मेंक्कुंन ने की. मौके पर उन्होंने मीडिया विद्यार्थियों को विडियोग्राफी  और फोटोग्राफी की महत्वपूर्ण  और बारीक़ जानकारी देते हुए कहा की एक ईमानदार और लगनशील विडियोग्राफर  और फोटोग्राफर एक मृतप्राय विषयवस्तु में जान फूंक सकता है. उन्होंने कहा की एक जीवंत फोटोग्राफी के लिए वक्त की कोई सीमा नही होती. उन्होंने डिसकवरी, हिस्टरी और नेशनल जेओग्राफी जैसे  चैनलों  का उदाहरण  देते हुए  बताया की इन चैनलों  में दिखाए जाने वाले दुर्लभ दृश्य एक फोटोग्राफर, विडियोग्राफर कितनी मेहनत के साथ कवर करता होगा इसकी कल्पना हम सहज ही कर सकते हैं .ऐसी ही मेहनत  एक फोटोग्राफर को आकाश  की तामाम बुलंदियों तक पंहुचा  कर उसे बेश कीमती बना देती है.वर्कशॉप में उन्होंने विद्यार्थियों को हाथों हाथ प्रशिक्षण भी दिया.
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इस वर्कशॉप में दूरदर्शन के सेवा निवृत इलेक्ट्रोनिक मीडिया एडिटर और 'भारतीय सिनेमा का विकास' विषय पर बहु र्चित वृत्तचित्र बनाने वाले राजेन्द्र  कुमार  सूद ने मीडिया विद्यार्थियों को एडिटिंग की विधा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पहले एडिटिंग का मतलब केवल लिपी या आलेखों की कांट- छांट करना और सूधार करना माना जाता था. मगर अब संपादन की  अवधारणा  इलेक्ट्रोनिक मीडिया और चैनलों  के कारण बदल गई है . अब संपादन का मतलब है अवांछित चित्रों और आवाजों को मिटाना और प्रभाव पूर्ण  चित्रों और दृश्यों के संयोजन से पूरी मीडिया सामग्री को अर्थ पूर्ण बनाने से है ताकि विषय वस्तु का उद्देश्य और सन्देश सार्थक हो सके . श्री सूद ने मौके पर ही आवाज और प्रकाश के प्रयोगों व प्रभावों के बारे में भी ढ़ेर सारी जानकारी दी. इस वर्क शॉप के अंतिम दिन कॉलेज  प्राचार्य डॉ. वीरेंदर कौर ने सभी विद्वानों का स्वागत किया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से सम्बंदित तामाम जानकारियां देने के लिए कॉलेज प्रबंधन समिति के प्रधान सरदार भूपेंदर सिंह जौहर और पूरे कॉलेज परिवार की और से आभार प्रकट किया. डॉ.  कौर ने  यह  भी बताया  कि इस प्रकार के उपयोगिता पूर्ण कर्यशालयों का आयोजन बहुत जल्द और भी किया जायेगा ताकि मीडिया विद्यार्थी मीडिया क्षेत्र में उपयोग हो रही तकनीकों और कौशलों में पारंगत हो कर अपने पैरों पर खड़े हो सके और देश के नव निर्माण में अपना योगदान दे सकें. उन्होने मौके पर यह भी बताया की बहुत  जल्द विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से 'मीडिया मैनेजमेंट' नामक सौ प्रतिशत रोज़गार उन्मुख पाठ्यक्रम की शुरवात की जा रही है. ताकि मीडिया में रूचि रखने वाले विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम को  पूरा कर के अपना योगदान दे सकें.  प्राचार्य ने समापन सत्र में अतिथि विद्वानों को स्मृति चित्र दे कर सम्मानित किया. राष्ट्र-गान जन गन मन के साथ इस तीन दिवसीय मीडिया वर्कशॉप का समापन हुआ.
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 २,  अप्रैल  २०१२, Dr. Uday Bhan Singh
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गुरुवार, 11 अगस्त 2011

आर्ट ऑफ लिविंग पर वर्कशाप

यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज के सभागार में आर्ट ऑफ लिविंग पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। जिसमें ट्रेनर अक्षत जोशी ने छात्राओं को यूथ इंपावरमेंट स्कील्स पर विस्तार से जानकारी दी। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। 



जोशी ने छात्राओं को बताया कि वे काम में उत्साह और रूचि को किस प्रकार से बनाए रख सकती है। ताकि वे अपने आसपास के वातावरण को प्रभावित कर सकें। अपनी बुद्धि और मन को वर्तमान क्षण में कैसे केंद्रीत कर सकती हैं, ताकि वह आराम दायक स्थिति में आ जाए। अपनी क्षमाओं से शंकाओं पर कैसे उभरा जा सकता है। इसके अलावा अपने मन के नाकारात्मक भावों से कैसे मुक्ति पाई जा सकती है। अपनी सेल्फ इमेज के बैरियर को तोडक़र छुपी हुई प्रतिभाओं को कैसे निखारा जा सकता है। सोसायटी में प्यार तथा अपनेपन की भावना को कैसे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त बातों को अपनी लाइफ में प्रयोग कर हम अपनी स्किल्स को इंप्रुव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आर्ट आफ लिविंग के जरिए युवाओं को वे चीजें सीखाई जाती है, जिन पर इंस्टीट्यूटस में ध्यान नहीं दिया जाता। युवा कम समय में ज्यादा काम कैसे कर सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक व मानसिक रुप से कैसे स्वस्थ रहा जा सकता है। इसके बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके अलावा भ्रूण हत्या, तनाव से मुक्ति, ह्ययूमन वैल्यु इत्यादि के बारे में भी जानकारी दी जाती है। वर्कशाप के दौरान उन्होंने बतया कि दिमाग के दो पार्ट होते हैं। लेफ्ट बे्रन क्रेटिविटी पर ध्यान देता है, जबकि राइट से हम ज्यादा सोचते हैं। यूथ पावरफुल व एनर्जी से भरपुर होता है। कई बार हम खुद को कोंफिडेंट फील करते हैं। हिचकिचाहट की वजह से हम संदेह महसूस करते हैं। संदेह हमेशा सकारात्मक चीजों पर होता है। क्योंकि नकारात्मक चीजों के बारे में हमें पहले से ही पता होता है कि हम उसे नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से हम घर के कचरे को बाहर फैंक देते हैं, उसी प्रकार जीवन के कचरे को बाहर फैंकना जरुरी है। जीवन में अच्छा काम करने से कचरा नहीं आता। मन के कचरे को कैसे कम किया जाए, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हम सभी ने खुद के बारे में एक इमेज बनाई हुई है। जीवन में हमें अनेक मौके मिलते हैं, लेकिन सेल्फ इमेज की वजह से हम उन्हें गवां देते हैं। उन्होने कहा कि सभी के अंदर छुपा हुआ टैलेंट होता है। सेल्फ इमेज की वजह है,हम उन्हें बाहर नहीं निकाल पाते। हमारे अंदर नाकारात्मक भावनाओं का संचार होता है, जो कि शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होती है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे हमेशा खुश रहे। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिए छात्राओं को अपनी स्किल्स इंप्रूव करने का अवसर मिलता है। आने वाले दिनों में भी इस प्रकार के आयोजन किए जाएंगे।
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शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

रैली निकाल किया पर्यावरण के प्रति जागरूक

यमुनानगर। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए शुक्रवार को डीएवी गल्र्स कालेज की एनएसएस वालंटियर्स ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यमुनानगर के सहयोग से गांव परवालों में रैली निकाली। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ भूपेंद्र कुमार ने हरी झंडी देकर रैली को रवाना किया। रैली गांव की विभिन्न गलियों से होती हुई मंदिर परिसर में संपन्न हुई।

एनएसएस वालंटियर्स व ग्रामीणों को संबोधित करते हुए एसडीओ भूपेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगाया गया है। बावजुद इसके कुछ लोग अभी भी पॉलीथिन का बैग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो कि गलत है।

उन्होंने कहा कि आसपास के राज्यों से प्रदेश में अवैध रुप से पॉलीथिन आ रहा है। उन्होंने बताया कि पॉलीथिन को जलाने पर उसमें से कार्बन मोनो ऑक्साइड, कॉर्बन डाई ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती है, जो कि पर्यावरण के लिए हानिकार है। अगर पॉलीथिन को नालियों में फैंक  दिया जाए, तो उससे नालियों चौक हो जाती है। जिस कारण पानी निकासी अवरुद्ध हो जाती है और यही वजह है कि गांव व शहर में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। उन्होंने एनएसएस वालंटियर्स को शपथ दिलाई के वे पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं करेंगी, इसके अलावा अपने आसपास के क्षेत्र में भी लोगों को पॉलीथिन से होने वाली हानियों के बारे में बताएंगी। 
उन्होंने वालंटियर्स से आह्वान किया कि वे पानी बचाने के लिए अभियान चलाएं। अगर हम यूं ही पानी को बर्बाद करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब हमें पीने के पानी के लिए भटकना पड़ेगा। राजस्थान व अन्य राज्यों के लोगों को अभी से ही पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पानी का दोहन की वजह से हर साल चार से पांच फीट पानी नीचे चला जाता है। जो कि अच्छा नहीं है। कैंप को-ओडिनेटर डा. भावना व डा. गुरशरन कौर ने कहा कि आज देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में पानी का मुद्दा सबसे बड़ा है। अगर हम समय रहते इस मामले में गंभीर नहीं हुए, तो वह दिन दूर नहीं, जब लोग पानी के लिए एक-दूसरे से लड़ते नजर आएंगे। इससे पूर्व एनएसएस की वालंटियर्स ने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने तथा पानी बचाने का संदेश देने के उद्देश्य से गांव में रैली निकाली। जो कि गांव की विभिन्न गलियों से होती हुई, मंदिर परिसर में संपन्न हुई।  वालंटियर्स ने पर्यावरण को बचाने वाले बैनर व पट्टियां उठाई। रैली को सफल बनाने में गांव के लोगों ने सहयोग दिया।

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गुरुवार, 26 मई 2011

एडमिशन: इंस्‍टीट्यूट ऑफ एंड टेक्‍नोलॉजी, कलावड़ (यमुनानगर)

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एडमिशन: हिमालयन ग्रुप, काला-आंब

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एडमिशन: श्री सिद्धिविनायक ग्रुप, शाहपुर (यमुनानगर)

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एडमिशन: संत निश्‍चल सिंह कॉलेज ऑफ एजूकेशन फॉर वूमैन, यमुनानगर

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एडमिशन: गुरू नानक गर्ल्‍ज कॉलेज, यमुनानगर

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एडमिशन: हिन्‍दू गर्ल्‍ज कॉलेज, जगाधरी (यमुनानगर)

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एडमिशन: डीएवी कॉलेज फॉर गर्ल्‍ज, यमुनानगर

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सोमवार, 2 मई 2011

दिल्‍ली में ब्‍लॉग जगत - दूरियां बनी नजदीकियां

तारीख : 30 अप्रैल, 2011
दिन : शनिवार 

समय : सुबह के 4 बजे।
सुबह के 4 बजे से पहले भी कई बार उठ गया। ऐसा मन में आ रहा था कहीं अलार्म सुनाई ना दिया हो और मैं सोता ही रह जाउं और दिल्‍ली जाने वाली टृेन जिसकी मैंने 20 दिन पहले ही बुकिंग करवा दी थी, छुट ना जाए।  लेकिन 4 बजे तक अलार्म के बजने से पहले हीअलार्म बंद कर उठ खड़ा हुआ और दिल्‍ली को कह दिया- मैं आ रहा हूं दिल्‍ली।

समय : सुबह के साढे 6 बजे।
श्री श्रीश शर्मा 'ई-पंडित' का फोन आता है, कहां हो रविंद्र जी।
मैंने कहा कि आपके सामने पहुंच रहा हूं दो मिंट में। लेकिन एक मिंट में ही मैं उनके सामने प्रत्‍यक्ष खड़ा था अपनी बाईक पर। हम दोनों ने रेल का टाईम कंफर्म किया, जोकि 10 मिंट लेट थी। 

समय : सुबह के 7 बजे।
इतने में ही उमेश वत्‍स जी का फोन आता है कि शालीमार एक्‍सप्रेस 'जिस गाड़ी से हमने दिल्‍ली तक का सफर तय करना था' स्‍टेशन की तरफ बढ़ रही है। आपको मैं बता दूं कि अगर आप अंबाला से वाया जगाधरी, दिल्‍ली जाना चाहते हैं तो रास्‍ते में जगाधरी वर्कशाप का स्‍टेशन आता है और वत्‍स जी भी वहीं से गाड़ी में सवार हो चुके थे, जोकि अब वो भी हमारे साथ दिल्‍ली जा रहे थे, देश भर से आने वाले ब्‍लॉगरों से मिलने के लिए। गाड़ी स्‍टेशन पर आ चुकी थी और हम भी सवार हो गये इस पर। 

समय : सुबह के 7 बजे साढे 11 बजे। 
गाड़ी पर बैठने के बाद सिलसिला शुरू हुआ वत्‍स जी की कविताओं से। दिल्‍ली तक पहुंचते पहुंचते उन्‍होंने दो कविताएं लिख डाली और लगभग पांच कविताएं भी सुनाई, जोकि देश-भक्ति से लबरेज थी। श्रीश जी ने भी अपने सॉफटवेयर बारे चर्चा की। मैं भी भला क्‍यों पीछे रहता, वो एक कहते मैं दो बताता। हमारे साथ बैठे लोगों ने भी हमारी बातों में सवाद लेना शुरू किया। दिल्‍ली तक का सफर कैसे बीत गया, पता ही नहीं हम

समय : सुबह के साढे 11 बजे। 
हमने दिल्‍ली रेलवे पर कदम रखा, तो सीधे मैटरो की तरफ लपके, क्‍योंकि श्रीश जी ने मिनी लैपी जो खरीदना था। तो पहुंच गये कंप्‍यूटर मार्किट नेहरू प्‍लेस। फिर शुरू हुआ सिलसिला मित्रों को फोन करने का, कि तुमने जो सामान मंगवाया था वह इस रेट पर है लाना है तो बताओ। बहुत दुकानें घूमें पर मन की तसल्‍ली नहीं हुई और हम बिना लैपी के ही प्रगति मैदान मैटरो स्‍टेशन पर पहुंच गये। किस्‍मत अच्‍छी थी कि अविनाश वाचसपति को फोन किया और उन्‍होंने बताया कि वे आसपास ही हैं और हिंदी साहित्‍य भवन ही जा रहे हैं। जैसे ही वो अपनी गाडी के साथ पहुंचे, तो हम तीनों ने उस पर कब्‍जा जमा लिया।


समय : दोपहर के साढे 3  बजे। 
हम अपने गणतव्‍य पर पहुंच चुके थे। जैसे ही हमने भवन के अंदर कदम रखा, तो वहां चारों और रखी साहित्यिक किताबों में खो गये, जलपान ग्रहण किया। अब शुरू हुआ सिलसिला जानने-पहचानने का। सबसे पहले नजर आये प्रमोद तांवर जी, जिनसे ब्‍लॉग की दुनियां में बहुत बार बातचीत हुई हैं, मतलब ब्‍लॉग फ्रेंडस। मैंने जाकर उनको कहा कि आप प्रमोद जी, उन्‍होंने कहा कि हां। बस फिर ढेरों बाते। इतने में लंबी-लंबी मूछों वाले एक शख्‍स ने ध्‍यान खींचा, तो मैंने मौका ना लपककर उनकी तरफ हाथ बढाया और कहा ललित शर्मा जी। वो मुस्‍कुराये और कहा हां भाई। फिर गिरी राज जी से मिलकर मैंने कहा कि पहचाना आपने। मैं रविंद्र, इतना कहते ही वो कहने लगे पुंज। फिर तो सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक श्री श्रीश जी को मंच पर ब्‍लॉगिंग पर बोलने के लिए नहीं बुलाया गया। फिर नंबर आया वत्‍स जी का। उन्‍होंने बैठे-बैठे उस दिन पर कविता ही बना डाली और संजोग देखो, अविनाश वाचस्‍पति जी ने उनको कुछ बोलने के लिए बुला भी लिया।


समय : अब ना समय पूछो, पता ही नहीं चला समय का तो, जैसे पंख लगाकर फुर हो गया। 
उत्‍तरा्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का आगमण होता है। उन्‍होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किया। तत्पश्चात् अविनाश वाचस्पति और रवीन्द्र प्रभात द्वारा संपादित हिन्दी ब्लॉगिंग की पहली मूल्यांकनपरक पुस्तक ‘हिन्दी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रांति’, रवीन्द्र प्रभात का नया उपन्यास ‘ताकी बचा रहे लोकतंत्र’, निशंक जी की पुस्तक ‘सफलता के अचूक मंत्र’ तथा रश्मिप्रभा द्वारा संपादित   परिकल्पना की त्रैमासिक पत्रिका ‘वटवृक्ष’ का लोकार्पण किया गया। इसके बाद चौंसठ हिंदी ब्लॉगरों का सारस्वत सम्मान हुआ। इस अवसर पर प्रमुख समाजसेवी विश्वबंधु गुप्ता ने कहा कि जीवन के उद्देश्य ऐसे होने चाहिए कि जिसमें मानवीय सेवा निहित हो।
इस अवसर पर निशंक जी उन्होंने परिकल्पना डॉट कॉम की ओर से देश विदेश के इक्यावन चर्चित और श्रेष्ठ तथा नुक्कड़ डॉट कॉम की ओर से हिंदी ब्लॉगिंग में विशिष्टता हासिल करने वाले तेरह ब्लॉगरों को सारस्वत सम्मान प्रदान किया।
चाय-पानी के छोटे से ब्रेक के बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के छात्रों ने कालजयी साहित्यकार रविन्द्र नाथ टैगोर की बंगला नाटिका लावणी का हिंदी रूपांतरण प्रस्तुत कर सभागार में उपस्थित दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया। इस अवसर पर हिंदी साहित्य निकेतन की 50 वर्षों की यात्रा को आयामित कराती पावर पोईन्ट प्रस्तुति भी हुई। इस अवसर पर रात्रि भोज का भी आयोजन था। रात को ठहरने की भी व्‍यवस्‍था थी।
अगले दिन हमने वहां नाश्‍ता किया और फिर से श्रीशजी और वत्‍स जी शुरू हो गये लैपी की खोज में। वाचस्‍पति जी ने भी फोन घुमाये और एक परिचित की मदद से श्रीशजी को एक मिनी दिलवा दिया। फिर उसी शालीमार में दोपहर साढे 3 बजे सवार होकर वापिस घर के लिए रवाना हो गये।
सारे कार्यक्रम के दौरान ऐसा लगा, मानों हम एक ही फैमिली में बैठे हैं। सब एक दूसरे को जानते हैं और बहुत पुरानी जान-पहचान है। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई और भगवान से प्रार्थना, कि अगले वर्ष इससे भी अच्‍छा कार्यक्रम करने के लिए उनको आर्शीवाद और मार्गदर्शन दें। 


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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग संबंधी पुस्‍तकों की अग्रिम बुकिंग से कमाई : मौका मत चूकें



(१) पुस्तक का नाम : हिंदी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति
यह पुस्तक अविनाश वाचस्पति और रवीन्द्र प्रभात के द्वारा संपादित है
 मूल्य : 495/- ( डाक खर्च अलग से )
प्रकाशक : हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701

(२) पुस्तक का नाम : हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास
लेखक का नाम : रवीन्द्र प्रभात
मूल्य : 250 /-( डाक खर्च अलग से)
प्रकाशक : हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701

विशेष सूचना : 12 अप्रैल 2011 तक बुकिंग करवाने वाले ब्‍लॉगरों के नाम, ब्‍लॉग पते और ई मेल पते पुस्‍तक में बिना किसी अतिरिक्‍त भुगतान के शामिल/ प्रकाशित किए जायेंगे। 


रुपये 450/- केवल भेजने के लिए आप अपनी सुविधानुसार निम्‍नलिखित तीन विकल्‍पों में किसी एक का चयन कर सकते हैं
1. आप मनीआर्डर से सीधे हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701 के पते पर राशि भेज सकते हैं परंतु मनीआर्डर के पीछे संदेश में अपना पूरा पता, फोन नंबर ई मेल आई डी के साथ अवश्‍य  लिखें।
2. तकनीक का लाभ उठाते हुए आप बैंक ऑफ बड़ौदा, बिजनौर के नाम हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन के खाता संख्‍या 27090100001455 में नकद जमा करवा सकते हैं। इस सुविधा का लाभ उठाने के बाद जमा पर्ची का स्‍कैन चित्र मेल पर अपनी पूरी जानकारी के साथ अवश्‍य भिजवायें।
3. आप यह राशि हिन्‍दी साहित्‍य निकेतन के नाम ड्राफ्ट के द्वारा भी डाक अथवा कूरियर के जरिए भेज सकते हैं। चैक सिर्फ सी बी एस शाखाओं के ही स्‍वीकार्य होंगे।
आप जिस भी विकल्‍प का चयन करें, उसका उपयोग करने के बाद इन ई मेल पर सूचना भी अवश्‍य भेजने का कष्‍ट कीजिएगा
giriraj3100@gmail.com, ravindra.prabhat@gmail.com & nukkadh@gmail.com पर जरूर भेजिएगा।


ज्ञातव्‍य हो कि उपरोक्त दोनों पुस्तकों का सम्मिलित मूल्य है रुपये. 745/- किन्तु  लोकार्पण से पूर्व यानी दिनांक २५.०४.२०११ तक संयुक्त रूप से दोनों पुस्तकों की खरीद पर डाक खर्च सहित रू. 450/- ही देने होंगे !

ऑर्डर सीधे प्रकाशक : हिंदी साहित्य निकेतन, 16, साहित्‍य विहार, बिजनौर (ऊ.प्र.) 246701 के नाम भेजना है !

किसी प्रकार की शंका होने पर ई मेल भेजने अथवा फोन से बात करने पर हिचकिचाएं मत।

विशेष सूचना : 12 अप्रैल 2011 तक बुकिंग करवाने वाले ब्‍लॉगरों के नाम, ब्‍लॉग पते और ई मेल पते पुस्‍तक में बिना किसी अतिरिक्‍त भुगतान के शामिल/ प्रकाशित किए जायेंगे।



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बुधवार, 30 मार्च 2011

डीएवी कॉलेज में 28 मार्च को हुए नाटकों की स्‍नैप्‍स


























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लिखो हिंदी पाओ पंजाबी

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http://h2p.learnpunjabi.org/default.aspx 
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ਲਿਖੋ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਪੜੋ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ  :  ਚਾਹੇ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਹੋਏ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਪੜੇ ਜਾਣ ਦੀ ਗੱਲ ਹਜ਼ਮ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇ ਪਰ ਹੈ ਬਿਲਕੁੱਲ ਸੱਚ ।  ਕੰਪਿਊਟਰ  ਦੇ ਦੁਆਰੇ ਅਜਿਹਾ ਕਰਣਾ ਬਿਲਕੁੱਲ ਸੰਭਵ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ।  ਇਹ ਸਾਫਟਵੇਯਰ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਹੋਏ ਵਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰਕੇ ਪੜ੍ਹਨੇ ਦੀ ਸਹੂਲਤ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।  ਇਸ  ਦੇ ਨਾਲ ਹਿੰਦੀ ਤੋਂ ਅਨਜਾਨ ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠਕ ਕਿਸੇ ਹਿੰਦੀ ਕਿਤਾਬ ਜਾਂ ਲੇਖ ਆਦਿ ਨੂੰ ਇੱਕ ਝਟਕੇ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਬਦਲਾ ਵੇਖ ਸੱਕਦੇ ਹਨ ।  ਇਸ ਸਾਫਟਵੇਯਰ ਦੀ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਹ ਵੀ ਹੈ ਕਿ ਤੁਸੀ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਟਾਈਪ ਕੀਤੇ ਮੁੱਦਾ ਨੂੰ ਸਿੱਧਾ ਈ  - ਮੇਲ ਕਰ ਸੱਕਦੇ ਹੋ ।  ਜੇਕਰ ਉਪਭੋਗਤਾ ਚਾਹੇ ਤਾਂ ਹਿੰਦੀ  ਦੇ ਮੁੱਦੇ ਨੂੰ ਅਨੁਵਾਦ ਕਰਕੇ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਈ  - ਮੇਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
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बुधवार, 23 मार्च 2011

यमुना ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन्स में वार्षिक उत्सव का आयोजन

 यमुना ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन्स  मे दो दिवसीय वार्षिक उत्सव की शुरूआत की गई ।  कार्यक्रम में चौ. देवी लाल इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट, गणपति कालेज ऑफ मैनेजमेंट, शिवालिक ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन, महार्षि वेद व्यास, ऐसियन इंस्टीटयूट, अंबाला कालेज ऑफ इंजिनयरिंग, हिन्दुस्तान, गुरू गोबिन्द सिंह इंस्टीटयूट आWफ मैनेजमेंट इत्यादि के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया ।  रंगोली प्रतियोगिता में महार्षि वेद व्यास कालेज के विद्यार्थीयों ने प्रथम स्थान हासिल किया । डैकलामेशन में प्रथम स्थान गणपति संस्थान की महक ने प्रथम स्थान हासिल किया । एक्सटैमपोर में गुरू गोबिन्द सिंह इंस्टीटयूट के सागर भूटानी ने प्रथम स्थान हासिल किया । मंहदी में यमुना ऑफ की बी.बी.ए. की छात्रा सोनम ने  प्रथम स्थान हासिल किया । स्पैल बी. में यमुना ऑफ के अंकूर ने प्रथम स्थान हासिल किया। विभिन्न तकनीकी कार्यक्रम जैसे कि पेपर प्रैजेन्टेशन, क्विज, डिबेट, स्पैल बी, पोस्टर मेकिंग, मेहन्दी, एक्सटैम्पोर, डैकलामेशन, लैन गेमिंग, फेस पेंटिग, सलाद कटिंग, ऑफ डिसकसन व रंगोली प्रतियोगिता मे  छात्रों ने प्रथम स्थान प्राप्त कर पुरस्कार हासिल किए। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत  की गई । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओ.बी.सी. बैंक, करनाल के डिप्टी जनरल मैनेजर श्री निहाल सिंह कासनियां रहे । मुख्य अतिथि ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप दीप प्रजवलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया । कार्यक्रम की  शुरूआत मैनेजमैंट के विद्यार्थी हिमांशू शपरा ने शब्द गाकर की । भारतीय संस्कृति की हर झलक को इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत किया गया । पंजाब की शान भांगडा प्रस्तुत करते विद्यार्थियों ने अपने जोश से दर्शकों को भी अपने साथ नाचने पर मजबूर कर दिया । इनके इलावा कोरियोग्रफी, माईम, शोलो डांस, सालसा, कलासिकल नृत्य, फैशन प्रेड, मैजिक शो इत्यादि कार्यक्रम के मुख्य आर्कषण रहे।  संस्थान के डायरैक्टर जनरल डा.एस.आर. मैंहदीरत्ता ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। डा. सर्वजीत कौर ने प्रोग्रम को सुयोजित किया तथा सभी उपस्थित लोगों का ध्न्यवाद किया।  इस कार्यक्रम मे संस्थान के चैयरमैन चौ0 राजिन्द्र कुमार, डायरैक्टर जनरल डा. एस.आर.मैहदीरत्ता,  डायरैक्टर डा. सर्वजीत कौर, डा. राजीव खंडूजा प्रिंसीपल, श्री निर्मल सिंह प्रिंसीपल, इंजि. त्रि‍लोक सिंह, श्री इन्द्रपाल सिंह, श्री सतपाल सिंह उपस्थित थे।



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शनिवार, 19 मार्च 2011

होली की बधाई

बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक, पावन और रंगों के त्‍यौहार होली की हार्दिक बधाई.
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