"मीडिया क्षेत्र में कार्यरत सभी लोगो को बदलते वक्त की तकनीक के मुताबिक अपने आप को ढालने की जरुरत है ताकि वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल रोजाना के कार्यों में करते हुए वह बेहतर परिणाम दे सकें . चाहे वह क्षेत्र फिल्म , कैमरा , फोटोग्राफी , एडिटिंग या अन्य क्षेत्र ही क्यों न हो. हर जगह रोज बदलती तकनीक ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया है, इसलिए मीडिया के विद्यार्थियों को भी कहिये वह अपने क्षेत्र की नयी तकनीक और जानकरी हासिल कर के अपने आप को पूरी तरह से योग्य और कुशल बनाये ताकि उनका निष्पादन , गुणवत्ता पूर्ण साबित हो सके . "
यह बात दूरदर्शन के सेवा निवृत चीफ प्रोडूसर और देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों के मुख्य मीडिया प्रिशिक्षक श्री योगेंदर नाथ जौहरी ने गुरु नानक खालसा कॉलेज के जनसंचार एवं मीडिया प्रोदोयोगिकी विभाग के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय मीडिया वर्कशॉप के समापन अवसर पर मीडिया विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहे . श्री जौहरी ने कहा की सच्चा विद्यार्थी वही है जो जरुरत की बातों को मन लगा कर सीखे और अपना ज्ञान बढ़ा सके ताकि उस ज्ञान और अनुभव के आधार पर विद्यार्थी अपने जीवन का मजबूती से निर्माण कर सके . वर्क शॉप के अंतिम दिन श्री जौहरी ने मीडिया विद्यार्थियों को कैमरों के संचालन की बारीकियों और अन्य पहलुओ पर विस्तार से जानकारी दी. इस से पूर्व इस वर्कशॉप की शुरवात देश के जाने माने विडियो और फोटोग्राफर डी मेंक्कुंन ने की. मौके पर उन्होंने मीडिया विद्यार्थियों को विडियोग्राफी और फोटोग्राफी की महत्वपूर्ण और बारीक़ जानकारी देते हुए कहा की एक ईमानदार और लगनशील विडियोग्राफर और फोटोग्राफर एक मृतप्राय विषयवस्तु में जान फूंक सकता है. उन्होंने कहा की एक जीवंत फोटोग्राफी के लिए वक्त की कोई सीमा नही होती. उन्होंने डिसकवरी, हिस्टरी और नेशनल जेओग्राफी जैसे चैनलों का उदाहरण देते हुए बताया की इन चैनलों में दिखाए जाने वाले दुर्लभ दृश्य एक फोटोग्राफर, विडियोग्राफर कितनी मेहनत के साथ कवर करता होगा इसकी कल्पना हम सहज ही कर सकते हैं .ऐसी ही मेहनत एक फोटोग्राफर को आकाश की तामाम बुलंदियों तक पंहुचा कर उसे बेश कीमती बना देती है.वर्कशॉप में उन्होंने विद्यार्थियों को हाथों हाथ प्रशिक्षण भी दिया.
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इस वर्कशॉप में दूरदर्शन के सेवा निवृत इलेक्ट्रोनिक मीडिया एडिटर और 'भारतीय सिनेमा का विकास' विषय पर बहु र्चित वृत्तचित्र बनाने वाले राजेन्द्र कुमार सूद ने मीडिया विद्यार्थियों को एडिटिंग की विधा के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पहले एडिटिंग का मतलब केवल लिपी या आलेखों की कांट- छांट करना और सूधार करना माना जाता था. मगर अब संपादन की अवधारणा इलेक्ट्रोनिक मीडिया और चैनलों के कारण बदल गई है . अब संपादन का मतलब है अवांछित चित्रों और आवाजों को मिटाना और प्रभाव पूर्ण चित्रों और दृश्यों के संयोजन से पूरी मीडिया सामग्री को अर्थ पूर्ण बनाने से है ताकि विषय वस्तु का उद्देश्य और सन्देश सार्थक हो सके . श्री सूद ने मौके पर ही आवाज और प्रकाश के प्रयोगों व प्रभावों के बारे में भी ढ़ेर सारी जानकारी दी. इस वर्क शॉप के अंतिम दिन कॉलेज प्राचार्य डॉ. वीरेंदर कौर ने सभी विद्वानों का स्वागत किया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से सम्बंदित तामाम जानकारियां देने के लिए कॉलेज प्रबंधन समिति के प्रधान सरदार भूपेंदर सिंह जौहर और पूरे कॉलेज परिवार की और से आभार प्रकट किया. डॉ. कौर ने यह भी बताया कि इस प्रकार के उपयोगिता पूर्ण कर्यशालयों का आयोजन बहुत जल्द और भी किया जायेगा ताकि मीडिया विद्यार्थी मीडिया क्षेत्र में उपयोग हो रही तकनीकों और कौशलों में पारंगत हो कर अपने पैरों पर खड़े हो सके और देश के नव निर्माण में अपना योगदान दे सकें. उन्होने मौके पर यह भी बताया की बहुत जल्द विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से 'मीडिया मैनेजमेंट' नामक सौ प्रतिशत रोज़गार उन्मुख पाठ्यक्रम की शुरवात की जा रही है. ताकि मीडिया में रूचि रखने वाले विद्यार्थी इस पाठ्यक्रम को पूरा कर के अपना योगदान दे सकें. प्राचार्य ने समापन सत्र में अतिथि विद्वानों को स्मृति चित्र दे कर सम्मानित किया. राष्ट्र-गान जन गन मन के साथ इस तीन दिवसीय मीडिया वर्कशॉप का समापन हुआ.
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२, अप्रैल २०१२, Dr. Uday Bhan Singh
समाचार पत्र में इस आयोजन के बारे पढ़ा था लेकिन आप के लेख से ज़्यादा जानकारी मिल पाई। धन्यवाद।
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