पर्सनैलिटी जन्मजात होती है, उसे विकसित तो किया जा सकता है, लेकिन बदला नहीं जा सकता। स्टूडेंट्स को चाहिए कि वे अपनी रूची के मुताबिक ही कैरियर का चयन करें, ताकि बुलंदियों को छू सकें। उक्त शब्द डीएवी गल्र्स कालेज में वाणिज्य व प्लेसमेंट सेल के संयुक्त तत्वावधान में मैजिक ऑफ फिंगर टिप्स विषय पर आयोजित वर्कशाप के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीपल इंटेलीजेंस टेस्ट हांगकांग की हरियाणा शाखा के डायरेक्टर रविंद्र पाल सिंह ने कहे। अध्यक्षता वाणिज्य विभागाध्यक्षा डा. सुरेंद्र कौर ने की।
रविंद्र पाल सिंह ने बताया कि एक सर्वे के मुताबिक भारत में हर साल १४००० हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स सुसाइड कर लेते हैं। ८० प्रतिशत स्टूडेंट्स अंडर स्ट्रेस रहते हैं। इन सभी चीजों के लिए काफी हद तक पेरेंट्स जिम्मेदार हैं। क्योंकि अभिभावकों द्वारा बच्चों पर पढ़ाई व कैरियर को चुनने का दबाव बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि हर बच्चे में अलग तरह की इंटेलीजेंस होती है, जिसमें वर्ड स्मार्ट, रीजनिंग स्मार्ट, पिक्चर स्मार्ट, बॉडी स्मार्ट, यूजिकल स्मार्ट, पीयूपल स्मार्ट, सेल्फ स्मार्ट व नेचर स्मार्ट शामिल है। इन सबका संबंध दिमाग के साथ होता है। इंटेलीजेंस के आधार पर ही कैरियर का चुनाव किया जाना चाहिए। डा. हार्वड गॉनर की थ्यूरी के मुताबिक फिंगर प्रिंट के जरिए किसी भी व्यक्ति की पर्सनैलिटी के बारे में बताया जा सकता है, ताकि वह उसके हिसाब से कैरियर का चयन कर सकें। स्नातक के उपरांत ९९ प्रतिशत विद्यार्थी कैरियर का चुनाव सही प्रकार से नहीं कर पाते। अकसर देखा जाता है कि अधिकांश विद्यार्थी दोस्तों या फिर परिवार के लोगों के मुताबिक कैरियर का चुनाव करते हैं। जबकि वे अपनी आंतरिक पर्सनैलिटी को सही प्रकार से नहीं पहचान पाते। उन्होंने बताया कि मूल्यांकन के बाद ही पर्सनैलिटी का पता चल सकता है। पर्सनैलिटी को पहचानने के लिए दोनों हाथों की उंगलियों का फिंगर प्रिंट लिया जाता है, जिसे लैब में डी टेस्ट के बाद परिणाम पर पहुंचा जा सकता है।
चार प्रकार की होती है पर्सनैलिटी-
रविंद्र पाल ने बताया कि पर्सनैलिटी चार प्रकार की होती है। जिसमें डव, मोर, उल्लू व बाज शामिल है। उन्होंने बताया कि डव पर्सनैलिटी के लोग ज्यादा मेहनती व फ्रैंडली नेचर के होते हैं। जबकि मोर पर्सनैलिटी के लोगों को बातें करना ज्यादा अच्छा लगता है और वे रिस्क लेने से नहीं घबराते। उल्लू पर्सनैलिटी के लोगों में मैथेमेटिकल व तर्कसिद्धता होती है। जबकि बाज पर्सनैलिटी के लोग दूसरों पर हावी होने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया कि पर्सनैलिटी को इंप्रूव तो किया जा सकता है, लेकिन बदला नहीं जा सकता। यह रिसर्च के जरिए प्रमाणित हो चुका है।
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