अभिभावकों से फीस, यूनिफार्म व किताबों के नाम पर हो रही वसुली
निजी स्कूलों में नन्हें बच्चों के लिए एबीसीडी सीखना एमए की पढ़ाई से ज्यादा महंगा हो गया है। निजी स्कूल संचालक प्री नर्सरी में दाखिले के नाम पर अभिभावकों से 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक फीस वसुल कर रहे हैं। इसमें यूनिफार्म, किताब तथा अन्य फंड शमिल नहीं है। अभिभावकों का कहना है कि जब तक स्कूल संचालकों पर शिक्षा विभाग द्वारा शिकंजा नहीं कसा जाएगा, तब तक उनकी मनमानी यूं ही जारी रहेगी।
यमुनानगर जिले में 250 से ज्यादा निजी स्कूल हैं, जिनमें इन दिनों प्री नर्सरी के दाखिले हो रहे हैं। अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर स्कूल में दाखिला दिलवाने के लिए एक स्कूल से दूसरे स्कूल में चक्कर काट रहे हैं। निजी स्कूल संचालक प्री नर्सरी में दाखिले के नाम पर अभिभावकों से 10 हजार से लेकर 50 हजार तक वसुल कर रहे हैं। जबकि एमए की एक साल की पढ़ाई करने में भी 5 से 8 हजार रुपए खर्च आता है। इससे साफ जाहिर है कि निजी स्कूलों में एबीसीडी सीखना एमए की पढ़ाई करने से कितना महंगा हो गया है। नाम न छापने की शर्त पर एक निजी स्कूल के संचालक ने बताया कि उनके यहां प्री नर्सरी में दाखिले के लिए 20 हजार रुपए लिए जाते हैं। जबकि यूनिफार्म व किताबों का खर्च अलग से हैं। इसके सिक्योरिटी फंड, बिल्डिंग फंड व अन्य फंड का पैसा भी अलग से लिया जाता है। उन्होंने बताया कि दाखिला होने के बाद अगर कोई बच्चा स्कूल छोडक़र दूसरे स्कूल में जाना चाहता है, तो फीस रिफंड करने का प्रावधान नहीं है।
डे्रस व किताबों के नाम पर लूट-
अभिभावक सुरेश कुमार, अनीता, सुषमा, नीति कौर व अश्वनी का कहना है कि निजी स्कूल संचालक अभिभावकों से बच्चों की डे्रस व किताबों के नाम पर मोटी रकम वसुल रहे हैं। बच्चों की दो डे्रसिज की एवज में जहां 2000 रुपए लिए जा रहे हैं, वहीं किताबों के नाम पर 1500 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक वसुले जा रहे हैं। इतना ही नहीं निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें थमा रहे हैं। जबकि शिक्षा विभाग ने सभी निजी स्कूल संचालकों को हिदायत दी हुई है कि वे बच्चों को एनसीआरटी की ही किताबें पढऩे के लिए दें।
नहीं की जाती सिक्योरिटी वापिस-
निजी स्कूल संचालक दाखिले के समय बच्चों से जो सिक्योरिटी लेते हैं,उसे बाद में वापिस नहीं किया जाता। अभिभावक विकास कुमार,विनोद कुमार व अजय कुमार ने बताया कि बच्चे के दाखिले के समय 1000 से लेकर 2000 रुपए तक सिक्योरिटी ली जा रही है। इतना ही नहीं जिस कक्षा में 30 से 40 बच्चें होने चाहिए, उसमें 60 से 70 बच्चें बिठाए जा रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को स्कूलों में कैसे पढ़ाया जा रहा है।
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निजी स्कूल संचालकों को निर्देश दिए हुए हैं कि वे अपने यहां प्राइवेट पब्लिशर्स के स्थान पर एनसीआरटी की ही किताबें पढ़ाए। जिन स्कूल संचालकों ने अपने यहां पर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बेची हैं, उनकी लिस्ट मंगवाई जा रही है। ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सकें - जगजीत कौर, जिला शिक्षा अधिकारी, यमुनानगर।
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