बिरेंद्र सिंह ने कहा कि इस देश
में एकता का भाव जगाने में हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा योगदान है। अगर हिंदी
फिल्में नहीं होती, तो इस देश में हिंदी का भी विस्तार नहीं हो पाता, जैसा
कि आज दिख रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की अपनी कोई संस्कृति विकसित नहीं हो
पाई है। इसलिए हरियाणा के लोगों का फिल्मों में ज्यादा योगदान नहीं दिखता। लेकिन
उनका यह भी मानना है कि हरियाणा के कई लोग टेलीविजन और फिल्मों की दुनिया में अपनी
अच्छी उपस्थिति बना रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म
समारोह जैसे आयोजन राज्य में फिल्म सांस्कृति को बढ़ावा देने में मददगार साबित
होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा को भी अपने कल्चर को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने
पंजाब का उदाहरण देते हुए कि जिस तरह पंजाब ने अपने कल्चर को बढ़ावा दिया, उसे
पूरी दुनिया ने स्वीकार किया, वैसा हरियाणवी सांस्कृति के साथ भी हो
सकता है।
डा. राजबीर ने कहा कि डीएवी
गल्र्स कालेज में आयोजित हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के जरिए पूरे विश्व
में प्रदेश का नाम रोशन हुआ है। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. सुषमा आर्य व उनकी
टीम का योगदान सराहनीय है।
इस मौके पर कालेज की प्रिंसिपल
डा. सुषमा आर्य ने बिरेंद्र सिंह के राजनीतिक योगदान और हरियाणा फिल्म समारोह में
उनकी भूमिका को खास तौर पर रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शुरूआत में ही चौधरी
बिरेंद्र सिंह ने हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल को अपना सहयोग देकर आगे
बढ़ाने का काम किया है।
इस मौके पर जाने भी दो यारो
फिल्म और टीवी सीरियल नुक्कड़ के निर्माता कुंदन शाह ने कहा कि सिनेमा दिमाग के
लिए भोजन का काम करता है। सिनेमा के जरिए ज्ञान, नैतिकता और
संस्कृति का विस्तार होता है। कुंदन शाह का मानना है कि सिनेमा जिंदगी के नजरिए को
भी बदलता है। इस मौके पर उनकी फिल्म थ्री सिस्टर भी दिखाई गई। जिसमें कानपुर की
तीन बहनों की आत्महत्या से जुड़ी कहानी को दिखाया गया है।
फिल्म की शुरूआत से पहले चौधरी
बिरेंद्र सिंह ने फिल्मकार कुंदन शाह को सम्मानित किया। फिल्म फेस्टीवल के निदेशक
अजित राय ने कहा कि कुंदन शाह की फिल्में हमें जिंदगी को नए नजरिए से देखने का
मौका देती है और कहीं गहरे तक सोचने का संदेश भी देती है।
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