शनिवार, 8 जून 2013

भाजपा ने ठोका मेयर का दावा

भाजपा ने ठोका मेयर का दावा

सुरेंद्र मेहता/हमारे प्रतिनिधि
संगीता सिंगल
कुसुम त्यागी
प्रीति जौहर
यमुनानगर, 6 जून। यमुनानगर नगर निगम के मेयर पद की ताजपोशी को लेकर जहां भाजपा ने बड़ी पार्टी होने के नाते दावा पेश करने का निर्णय लिया है वहीं इस कुर्सी पर बैठने के लिए पार्टी की चुनी गई तीनों पार्षद हर संभव जोड़तोड़ का प्रयास कर रही हैं। तीनों महिला पार्षदों में से एक ही पार्षद ऐसी है जो पहले चुनाव लड़ चुकी है जबकि बाकी दोनों महिला पार्षदों ने पहली बार चुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की।
निगम के छह नंबर वार्ड से चुनाव मैदान में उतरी प्रीती जौहर अन्य प्रत्याशियों से उम्र में छोटी हैं। 2002 में वह शैलेंद्र जौहर के साथ परिणय सूत्र में बंधी और अब उनके पास दो बच्चे हैं। बीए, बीएड और फैशन डिजाइनर का कोर्स करने वाली प्रीती इस समय घरेलु महिला है। वह पहली बार चुनाव मैदान में उतरी और 2476 मत प्राप्त कर इनेलो प्रत्याशी संगीता अग्रवाल को 460 मतों के अंतर से हराया। प्रीती का कहना है कि वह कॉलेज समय में भी छात्र संघ चुनाव नहीं लड़ी और न ही उनकी कभी रूचि रही है। अब वह पार्षद बनकर कुछ ऐसा करना चाहती है जिससे वह दोबारा भी घर बैठे पार्षद चुनी जाएं। पार्षद के पति ने भी कभी चुनाव नहीं लड़ा है और वह केबल टीवी का काम करते हैं।
सात नंबर वार्ड से पहली बार चुनाव लडऩे वाली कुसुम त्यागी को 3125 मत मिले और उन्होंने आजाद प्रत्याशी अल्का रानी से 927 मतों से जीत हासिल की। बारहवीं पास कुसुम घरेलु महिला है और दो बच्चों की मां हैं। एक बच्चे ने डाक्टरी और दूसरे ने एलएलबी कर ली है। पहली बार चुनाव मैदान में उतरी कुसुम त्यागी के पति राकेश त्यागी पार्षद रह चुके हैं। इसके अलावा श्री त्यागी लंबे समय से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं और इस समय वह प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष रामविलास शर्मा के साथ उनके नजदीकी संबंध है। पेशे से किसान राकेश त्यागी इस समय प्रापर्टी डिलिंग का काम भी करते हैं। पार्षद कुसुम त्यागी का कहना है कि अगर उन्हें मेयर बना दिया जाता है तो वह यमुनानगर की सड़कों एवं गलियों को चंडीगढ़ की तर्ज पर बनवाएंगी और जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का काम करेंगी।
आठ नंबर वार्ड से विजयी संगीता सिंघल को 2659 मत मिले और उन्होंने भाजपा के बागी की पत्नी सुमन मरवाह को 661 मतों से हराया। पहले भी पार्षद रह चुकी संगीता कई समाजसेवी संस्थाओं के साथ जुड़ी हुई हैं और इस समय वह पार्टी की महिला मोर्चा की प्रांतीय पदाधिकारी हैं। संगीता का कहना है कि मेयर बनने पर वह सरकार की उपेक्षा की शिकार रही स्थानीय जनता को राहत पहुंचाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि वह जनता की समस्याओं को भली भांति जानती हैं और उनका समाधान करवाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी।

पानीपत में चल सकता है ‘शाह’ का ‘खेल’

सुरेंद्र सांगवान/ट्रिब्यून न्यूज सॢवस
सुरेश वर्मा
सुनील वर्मा
भूपेंद्र सिंह
पानीपत, 7 जून। यहां मेयर पद का ताज किसके सिर बंधेगा यह तो अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन इस समय पार्षद सुनील वर्मा, भूपेंद्र सिंह और सुरेश वर्मा को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। यदि भाजपा निर्दलियों को जोड़कर 13 के आंकड़े को छू सकी तो दुष्यंत भट और सतीश सैनी की लाटरी खुल सकती है।
वार्ड 17 से मात्र 17 वोटों के अंतर से चुनाव जीतने वाले सुनील वर्मा को विधायक बलबीर पाल शाह का आशीर्वाद है। वर्मा पेशे से कोरियर कंपनी चलते हैं और स्नातकोत्तर तक शिक्षा हासिल की है। उन्होंने इस चुनाव में बलराम को शिकस्त दी है। शाह का प्रयास रहेगा कि सुनील को मेयर पद पर बैठाया जाये।
दूसरे प्रमुख दावेदार हैं वार्ड 11 से बतौर निर्दलीय जीतने वाले भूपेंद्र सिंह। सिंह टिकट न मिलने पर इनेलो छोड़कर बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे और भाजपा के रवींद्र भाटिया को हराकर 727 मतों से चुनाव जीता। तीन बच्चों के पिता 43 वर्षीय श्री सिंह नौवीं पास और बिल्ंिडग कांट्रेक्टर हैं। उनका यह पहला चुनाव था। कई साल से वे इनेलो से जुड़े हुये थे।
तीसरे दावेदार वार्ड सात से चुनाव जीतने वाले सुरेश वर्मा हैं। श्री वर्मा दसवीं पास हैं और उनका प्रोपर्टी और डिपो का व्यवसाय है। उन्हें पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता प्रसन्नी देवी का खास माना जाता है। सुरेश कुमार ने रामकुमार को 1241 वोटों से हराकर यह चुनाव जीता है।
भाजपा यदि निर्दलियों को जोड़कर तेरह का आंकड़ा जुटा लेती है तो मेयर के दावेदारों में वार्ड 12 से सतीश सैनी और वार्ड 24 से दुष्यंत भट्टï का नाम और शामिल हो सकता। नित नये बनते समीकरणों के चलते अभी यह कहना कठिन है कि सहमति किस नाम पर बनेगी।

सीनियर डिप्टी व डिप्टी के लिए भी दौड़

रोचक बात यह है कि जो पार्षद मेयर बनने की दौड़ में शामिल है, उनमें से कई ऐसे हैं, जो मेयर नहीं बनने की सूरत में सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर बनने की कोशिशों में जुटे हैं। यानीकि किसी भी सूरत में पद की चाह है। इन पदों की लड़ाई वहां अधिक है, जहां पर मेयर की कुर्सी आरक्षित हैं। यमुनानगर व हिसार में जहां महिला के लिए मेयर की कुर्सी आरक्षित है वहीं रोहतक में अनुसूचित जाति वर्ग की महिला मेयर बनेगी। इसी तरह से पानीपत में पिछड़ा वर्ग व अंबाला में अनुसूचित जाति का मेयर बनेगा। इस सूरत में इन जगहों पर दूसरे पदों के लिए भी जोड़-तोड़ चल रही है।


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