गुरुवार, 11 अगस्त 2011

आर्ट ऑफ लिविंग पर वर्कशाप

यमुनानगर। डीएवी गल्र्स कालेज के सभागार में आर्ट ऑफ लिविंग पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। जिसमें ट्रेनर अक्षत जोशी ने छात्राओं को यूथ इंपावरमेंट स्कील्स पर विस्तार से जानकारी दी। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। 



जोशी ने छात्राओं को बताया कि वे काम में उत्साह और रूचि को किस प्रकार से बनाए रख सकती है। ताकि वे अपने आसपास के वातावरण को प्रभावित कर सकें। अपनी बुद्धि और मन को वर्तमान क्षण में कैसे केंद्रीत कर सकती हैं, ताकि वह आराम दायक स्थिति में आ जाए। अपनी क्षमाओं से शंकाओं पर कैसे उभरा जा सकता है। इसके अलावा अपने मन के नाकारात्मक भावों से कैसे मुक्ति पाई जा सकती है। अपनी सेल्फ इमेज के बैरियर को तोडक़र छुपी हुई प्रतिभाओं को कैसे निखारा जा सकता है। सोसायटी में प्यार तथा अपनेपन की भावना को कैसे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त बातों को अपनी लाइफ में प्रयोग कर हम अपनी स्किल्स को इंप्रुव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आर्ट आफ लिविंग के जरिए युवाओं को वे चीजें सीखाई जाती है, जिन पर इंस्टीट्यूटस में ध्यान नहीं दिया जाता। युवा कम समय में ज्यादा काम कैसे कर सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक व मानसिक रुप से कैसे स्वस्थ रहा जा सकता है। इसके बारे में विस्तार से बताया जाता है। इसके अलावा भ्रूण हत्या, तनाव से मुक्ति, ह्ययूमन वैल्यु इत्यादि के बारे में भी जानकारी दी जाती है। वर्कशाप के दौरान उन्होंने बतया कि दिमाग के दो पार्ट होते हैं। लेफ्ट बे्रन क्रेटिविटी पर ध्यान देता है, जबकि राइट से हम ज्यादा सोचते हैं। यूथ पावरफुल व एनर्जी से भरपुर होता है। कई बार हम खुद को कोंफिडेंट फील करते हैं। हिचकिचाहट की वजह से हम संदेह महसूस करते हैं। संदेह हमेशा सकारात्मक चीजों पर होता है। क्योंकि नकारात्मक चीजों के बारे में हमें पहले से ही पता होता है कि हम उसे नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से हम घर के कचरे को बाहर फैंक देते हैं, उसी प्रकार जीवन के कचरे को बाहर फैंकना जरुरी है। जीवन में अच्छा काम करने से कचरा नहीं आता। मन के कचरे को कैसे कम किया जाए, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हम सभी ने खुद के बारे में एक इमेज बनाई हुई है। जीवन में हमें अनेक मौके मिलते हैं, लेकिन सेल्फ इमेज की वजह से हम उन्हें गवां देते हैं। उन्होने कहा कि सभी के अंदर छुपा हुआ टैलेंट होता है। सेल्फ इमेज की वजह है,हम उन्हें बाहर नहीं निकाल पाते। हमारे अंदर नाकारात्मक भावनाओं का संचार होता है, जो कि शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होती है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे हमेशा खुश रहे। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिए छात्राओं को अपनी स्किल्स इंप्रूव करने का अवसर मिलता है। आने वाले दिनों में भी इस प्रकार के आयोजन किए जाएंगे।

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