डेढ़ साल से वेतन के लिए भटक रहे 4000 लैब सहायक
Posted On July - 7 - 2013
सुरेंद्र मेहता/हमारे प्रतिनिधि
यमुनानगर, 7 जुलाई। सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नंबर वन की शिक्षा दिए जाने के दावे खोखले साबित हो रहे है। प्रदेश के 10वीं व 12वीं कक्षा तक के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए लगाए गए कंप्यूटर शिक्षक हटा दिए गए हैं। इतना ही नहीं बच्चों को साइंस प्रयोगशाला में रसायनिक क्रियाओं की जानकारी देने के लिए लगाए गए लैब सहायकों को भी पिछले डेढ़ साल से वेतन नहीं मिला है। ऐसा नहीं है कि इन लोगों ने अपने अधिकार के लिए संघर्ष न किया हो। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक से मिलने के बाद भी इनकों आज तक इनका हक नहीं मिल पाया है। कुछ ऐसा ही हाल हटाए गए कंप्यूटर शिक्षकों का है। हटाने से पहले उन्हें भी छह माह का वेतन नहीं दिया गया था। एकाएक हटाए जाने के कारण उन्हें अपने लिए नए स्थान पर काम तलाश करने में भी परेशानी हो रही है। ऐसे में अब इन लोगों के साथ जुड़े इनके पारिवारिक सदस्यों के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है।
प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने के लिए एनआईसीटी केयर कंपनी इंदौर से एक समझौता किया था। समझौते के तहत प्रदेश के 10वीं व 12वीं कक्षा तक के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक व लैब सहायक कंपनी द्वारा नियुक्त किए जाने थे। इसकी एवज में सरकार द्वारा कंपनी को एकमुश्त रकम अदा की जानी थी। कंपनी उस रकम में से अपने हिसाब से आगे स्कूलों में रखे अध्यापकों को उनका वेतन तय कर देती। कुछ समय तक हुआ भी ऐसा ही। कंपनी ने कुछ माह तक सभी शिक्षकों को उनसे तय किया गया वेतन निर्धारित तारीख तक दिया। आरोप है कि उसके बाद कंपनी ने उनका वेतन देना बंद कर दिया। अपना हक पाने के लिए यदि किसी ने आवाज उठानी चाही तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जबकि कंपनी ने कंप्यूटर शिक्षकों को तीन साल के अनुबंध तथा लैब सहायकों को पांच साल के अनुबंध पर रखा था, लेकिन मार्च 2013 में कंपनी ने कथित रूप से एकाएक बिना कोई नोटिस दिए सभी स्कूलों में लगे कंप्यूटर शिक्षकों को हटा दिया। इतना ही नहीं कंपनी ने उन्हें हटाने से पहले उनका छह माह का वेतन भी नहीं दिया। इसी प्रकार से कंपनी ने 31 मार्च 2012 के बाद से किसी भी लैब सहायक का वेतन नहीं दिया। लगातार कई माह से वेतन न मिलने के कारण इन शिक्षकों व लैब सहायकों के परिवार के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। कई शिक्षक तो ऐसे हैं, जो खुद शिक्षक होने के बावजूद अपने बच्चों को पैसे के अभाव में स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे हैं। ऐसे में सरकार का सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने तथा सब पढ़े सब बढ़े के नारे देने के दावे खोखले ही साबित होंगे।
हरियाणा राजकीय कंप्यूटर अध्यापक व लैब सहायक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र पाल व जिला प्रधान मनीष सैनी का कहना है कि उन्होंने अपना हक पाने के लिए कई धरने व प्रदर्शन किए, लेकिन आज तक उनकी किसी ने नहीं सुनी। बीते साल दो नवंबर को खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनका वेतन न देने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और जल्द ही कंप्यूटर शिक्षकों व लैब सहायकों को उनका वेतन दिलाया जाएगा, लेकिन आज तक इस बारे में कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस बारे में कई बार डीसी व सीएम को भी ज्ञापन दिया गया था, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने चेतावनी दी कि अब 16 जुलाई को वह लोग पंचकूला में शिक्षा सदन का घेराव कर वहां ताला बंदी करेंगी तथा साथ ही एनआईसीटी कंपनी को भी ताला लगा देंगे।
यमुनानगर, 7 जुलाई। सरकार द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नंबर वन की शिक्षा दिए जाने के दावे खोखले साबित हो रहे है। प्रदेश के 10वीं व 12वीं कक्षा तक के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए लगाए गए कंप्यूटर शिक्षक हटा दिए गए हैं। इतना ही नहीं बच्चों को साइंस प्रयोगशाला में रसायनिक क्रियाओं की जानकारी देने के लिए लगाए गए लैब सहायकों को भी पिछले डेढ़ साल से वेतन नहीं मिला है। ऐसा नहीं है कि इन लोगों ने अपने अधिकार के लिए संघर्ष न किया हो। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक से मिलने के बाद भी इनकों आज तक इनका हक नहीं मिल पाया है। कुछ ऐसा ही हाल हटाए गए कंप्यूटर शिक्षकों का है। हटाने से पहले उन्हें भी छह माह का वेतन नहीं दिया गया था। एकाएक हटाए जाने के कारण उन्हें अपने लिए नए स्थान पर काम तलाश करने में भी परेशानी हो रही है। ऐसे में अब इन लोगों के साथ जुड़े इनके पारिवारिक सदस्यों के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है।
प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने के लिए एनआईसीटी केयर कंपनी इंदौर से एक समझौता किया था। समझौते के तहत प्रदेश के 10वीं व 12वीं कक्षा तक के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक व लैब सहायक कंपनी द्वारा नियुक्त किए जाने थे। इसकी एवज में सरकार द्वारा कंपनी को एकमुश्त रकम अदा की जानी थी। कंपनी उस रकम में से अपने हिसाब से आगे स्कूलों में रखे अध्यापकों को उनका वेतन तय कर देती। कुछ समय तक हुआ भी ऐसा ही। कंपनी ने कुछ माह तक सभी शिक्षकों को उनसे तय किया गया वेतन निर्धारित तारीख तक दिया। आरोप है कि उसके बाद कंपनी ने उनका वेतन देना बंद कर दिया। अपना हक पाने के लिए यदि किसी ने आवाज उठानी चाही तो उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, जबकि कंपनी ने कंप्यूटर शिक्षकों को तीन साल के अनुबंध तथा लैब सहायकों को पांच साल के अनुबंध पर रखा था, लेकिन मार्च 2013 में कंपनी ने कथित रूप से एकाएक बिना कोई नोटिस दिए सभी स्कूलों में लगे कंप्यूटर शिक्षकों को हटा दिया। इतना ही नहीं कंपनी ने उन्हें हटाने से पहले उनका छह माह का वेतन भी नहीं दिया। इसी प्रकार से कंपनी ने 31 मार्च 2012 के बाद से किसी भी लैब सहायक का वेतन नहीं दिया। लगातार कई माह से वेतन न मिलने के कारण इन शिक्षकों व लैब सहायकों के परिवार के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। कई शिक्षक तो ऐसे हैं, जो खुद शिक्षक होने के बावजूद अपने बच्चों को पैसे के अभाव में स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे हैं। ऐसे में सरकार का सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने तथा सब पढ़े सब बढ़े के नारे देने के दावे खोखले ही साबित होंगे।
हरियाणा राजकीय कंप्यूटर अध्यापक व लैब सहायक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र पाल व जिला प्रधान मनीष सैनी का कहना है कि उन्होंने अपना हक पाने के लिए कई धरने व प्रदर्शन किए, लेकिन आज तक उनकी किसी ने नहीं सुनी। बीते साल दो नवंबर को खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनका वेतन न देने वाली कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और जल्द ही कंप्यूटर शिक्षकों व लैब सहायकों को उनका वेतन दिलाया जाएगा, लेकिन आज तक इस बारे में कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस बारे में कई बार डीसी व सीएम को भी ज्ञापन दिया गया था, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने चेतावनी दी कि अब 16 जुलाई को वह लोग पंचकूला में शिक्षा सदन का घेराव कर वहां ताला बंदी करेंगी तथा साथ ही एनआईसीटी कंपनी को भी ताला लगा देंगे।
जिन कर्मचारियों का वेतन रुका हुआ है, उनकी हाजरी मंगवाई गई है। जल्द ही उन्हें वेतन दे दिया जाएगा। निकाले गए कंप्यूटर शिक्षकों के बारे में तो उच्चाधिकारी ही कुछ कर सकते हैं। फिलहाल 11 जुलाई को पंचकूला मीटिंग में इस बारे में कोई फैसला लिये जाने की उम्मीद है।
-जिला शिक्षा अधिकारी जगजीत कौर
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