हरियाणा राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म-मृत्यु पंजीकरण पत्र का कार्य प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में किया जाता है तथा अब गांव वासियों को जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाण पत्र के लिए पुलिस थानों में जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से ही जन्म-मृत्यु पंजीकरण के प्रमाण पत्र उपलब्ध होते हैं। जन्म-मृत्यु पंजीकरण के फार्म आंगनवाडी कार्यकर्ताओं, सरपंचों व बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, जिन्हें 21 दिन की अवधि में पूर्ण रूप से भर कर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सरपंचों व बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को देना होता है या फिर सीधे तौर से ही यह फार्म भर कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी जमा करवाए जा सकते है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सक को राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र हेतु जन्म-मृत्यु पंजीकरण का रजिस्ट्रार घोषित किया गया है जो जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर ए.एन.एम. या बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को देते हैं, जिन्हें आंगनवाडी कार्यकर्ता के माध्यम से परिवार तक पहुंचा जाता है। जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के अन्तर्गत स्थानीय रजिस्ट्रार के कार्यालय में परिवार में किसी के जन्म और मृत्यु को पंजीकृत करवाना अनिवार्य है।
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र एक अति आवश्यक एवं बहुउद्घेशीय दस्तावेज है, जोकि जीवन में समय-समय पर अनेकों उद्देश्यों की पूर्ति करता है। हरियाणा में जन्म पंजीकरण दर लगभग 75 प्रतिशत पर ही स्थिर थी और ग्रामीण जनता चौकीदार को ही जन्म-मृत्यु की घटना की सूचना देकर अपने कर्तव्यों से मुक्त समझते थे। अत: जन्म-मृत्यु जैसी घटनाओं से सम्बन्धित प्रमाण पत्र बहुत ही कम ग्रामीणों के पास होता था। पुरानी प्रणाली के अनुसार थाना प्रभारी जन्म-मृत्यु को पंजीकृत करते थे और प्राय: लोग वहां जाने में झिझकते थे, परन्तु अब जन्म-मृत्यु पंजीकरण एवं प्रमाण पत्र हासिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसके तहत अब पुलिस थानों की बजाए जन्म-मृत्यु का पंजीकरण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पतालों और नगर पालिका कार्यालयों में किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस दिशा में ग्राम पंचायत, आंगनवाडी केन्द्र, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जा रहा है और जिला के चिकित्सा प्रभारी जन्म-मृत्यु पंजीकरण के रजिस्ट्रार हैं।
जन्म-मृत्यु पंजीकरण की निर्धारित 21 दिनों की समय अवधि के बाद 30 दिनों तक पंजीकरण रजिस्ट्रार की अनुमति तथा दो रूपए के विलम्ब शुल्क सहित करवाया जाता है तथा 30 दिनों से अधिक समय से विलम्बित घटना का पंजीकरण करने हेतु प्रार्थी को प्रार्थना पत्र सीधे रजिस्ट्रार को पूर्ण रूप से भरा हुआ सूचना फार्म, शपथ पत्र, विलम्ब शुल्क की रसीद, अनुपलब्धता प्रमाण पत्र, प्रार्थी के निवास से सम्बन्धित प्रमाण, जन्म-मृत्यु घटना की तारीख सम्बन्धी प्रमाण व रजिस्ट्रार की जांच रिपोर्ट आदि दस्तावेजों सहित देना होता है, जिसे जिला रजिस्ट्रार की अनुमति के लिए भेजा जाता है। एक वर्ष से अधिक पुरानी जन्म-मृत्यु की घटना को पंजीकरण करवाने हेतु प्रार्थना पत्र जिला रजिस्ट्रार के माध्यम से उपमण्डल अधिकारी(नागरिक)को भेजा जाता है जिनके आदेशों के बाद ही जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाण पत्र मिलना सम्भव होता है।
जन्म या मृत्यु की घटना की सूचना यथा समय, यथा स्थान विस्तार पूर्वक देना होता है क्योंकि यह समाज और परिवार के लिए हितकारी है। सूचनाओं में बच्चे का पूरा और सही नाम, पिता का नाम, घर का पता, जन्म तिथि, वर्ष आदि सूचना सही-सही लिखवानी होती है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थाओं में दाखिला लेने के लिए, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राईविंग लाईसैंस, आवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र की अति आवश्यकता होती है तथा विदेशों में जाने हेतु पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र का होना अति आवश्यक है । इसी प्रकार किसी परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु का पंजीकरण और उसका प्रमाण पत्र भी परिवार के सदस्यों के पास होना अति आवश्यक है ताकि पैतृक सम्पत्ति आदि के बटवारे के बारे में परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े ।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सक को राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र हेतु जन्म-मृत्यु पंजीकरण का रजिस्ट्रार घोषित किया गया है जो जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर ए.एन.एम. या बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता को देते हैं, जिन्हें आंगनवाडी कार्यकर्ता के माध्यम से परिवार तक पहुंचा जाता है। जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के अन्तर्गत स्थानीय रजिस्ट्रार के कार्यालय में परिवार में किसी के जन्म और मृत्यु को पंजीकृत करवाना अनिवार्य है।
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र एक अति आवश्यक एवं बहुउद्घेशीय दस्तावेज है, जोकि जीवन में समय-समय पर अनेकों उद्देश्यों की पूर्ति करता है। हरियाणा में जन्म पंजीकरण दर लगभग 75 प्रतिशत पर ही स्थिर थी और ग्रामीण जनता चौकीदार को ही जन्म-मृत्यु की घटना की सूचना देकर अपने कर्तव्यों से मुक्त समझते थे। अत: जन्म-मृत्यु जैसी घटनाओं से सम्बन्धित प्रमाण पत्र बहुत ही कम ग्रामीणों के पास होता था। पुरानी प्रणाली के अनुसार थाना प्रभारी जन्म-मृत्यु को पंजीकृत करते थे और प्राय: लोग वहां जाने में झिझकते थे, परन्तु अब जन्म-मृत्यु पंजीकरण एवं प्रमाण पत्र हासिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसके तहत अब पुलिस थानों की बजाए जन्म-मृत्यु का पंजीकरण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पतालों और नगर पालिका कार्यालयों में किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस दिशा में ग्राम पंचायत, आंगनवाडी केन्द्र, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जा रहा है और जिला के चिकित्सा प्रभारी जन्म-मृत्यु पंजीकरण के रजिस्ट्रार हैं।
जन्म-मृत्यु पंजीकरण की निर्धारित 21 दिनों की समय अवधि के बाद 30 दिनों तक पंजीकरण रजिस्ट्रार की अनुमति तथा दो रूपए के विलम्ब शुल्क सहित करवाया जाता है तथा 30 दिनों से अधिक समय से विलम्बित घटना का पंजीकरण करने हेतु प्रार्थी को प्रार्थना पत्र सीधे रजिस्ट्रार को पूर्ण रूप से भरा हुआ सूचना फार्म, शपथ पत्र, विलम्ब शुल्क की रसीद, अनुपलब्धता प्रमाण पत्र, प्रार्थी के निवास से सम्बन्धित प्रमाण, जन्म-मृत्यु घटना की तारीख सम्बन्धी प्रमाण व रजिस्ट्रार की जांच रिपोर्ट आदि दस्तावेजों सहित देना होता है, जिसे जिला रजिस्ट्रार की अनुमति के लिए भेजा जाता है। एक वर्ष से अधिक पुरानी जन्म-मृत्यु की घटना को पंजीकरण करवाने हेतु प्रार्थना पत्र जिला रजिस्ट्रार के माध्यम से उपमण्डल अधिकारी(नागरिक)को भेजा जाता है जिनके आदेशों के बाद ही जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाण पत्र मिलना सम्भव होता है।
जन्म या मृत्यु की घटना की सूचना यथा समय, यथा स्थान विस्तार पूर्वक देना होता है क्योंकि यह समाज और परिवार के लिए हितकारी है। सूचनाओं में बच्चे का पूरा और सही नाम, पिता का नाम, घर का पता, जन्म तिथि, वर्ष आदि सूचना सही-सही लिखवानी होती है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थाओं में दाखिला लेने के लिए, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राईविंग लाईसैंस, आवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र की अति आवश्यकता होती है तथा विदेशों में जाने हेतु पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र का होना अति आवश्यक है । इसी प्रकार किसी परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु का पंजीकरण और उसका प्रमाण पत्र भी परिवार के सदस्यों के पास होना अति आवश्यक है ताकि पैतृक सम्पत्ति आदि के बटवारे के बारे में परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े ।
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