पणजी, गोवा, 23 नवम्बर
अजित राय |
भारत के 41वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह की उद्घाटन फिल्म ‘वेस्ट इज वेस्ट’ इस समारोह की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है। यह फिल्म करीब एक दशक पहले बनी ‘ईस्ट इज ईस्ट’ का दूसरा भाग है, जिसने दुनिया भर में करीब 160 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। यह फिल्म भारत के सुप्रसिद्ध अभिनेता ओमपुरी को विश्व के महान अभिनेताओं की पंक्ति में ला खड़ा करती है। ब्रिटिश फिल्म की निर्माता लैस्ली एडविन ने बताया कि लगभग 18 करोड़ रुपये की लागत वाली यह फिल्म ब्रिटेन और भारत में अगले वर्ष 25 फरवरी को एक साथ रिलीज की जाएगी। इसमें मुख्य भूमिकाएं ब्रिटिश कलाकारों के साथ ओमपुरी, इला अरुण, विजयराज, राज भंसाली आदि भारतीय कलाकारों ने निभाई है। उन्होंने कहा कि वे इस श्रंखला की तीसरी फिल्म ‘ईस्ट इज वेस्ट’ की पटकथा पर तेजी से काम कर रही हैं।
‘वेस्ट इज वेस्ट’ ब्रिटेन के मैनचेस्टर शहर में साल्फोर्ड इलाके में बसे एक पाकिस्तानी जहांगीर खान की कहानी है जो 35 साल पहले 1940 में अपनी पहली बीवी बशीरा और अपनी बेटियों को छोड़कर आ गया था। मैनचेस्टर में उसने एक आयरिश महिला से प्रेम विवाह किया जिससे उसके कई बेटे हुए। ‘ईस्ट इज ईस्ट’ 1975 के ब्रिटेन में पाकिस्तानी समाज के जिस सांस्कृतिक संकट पर खत्म होती है, वहीं से ‘वेस्ट इज वेस्ट’ शुरू होती है। ‘ईस्ट इज ईस्ट’ के अंतिम दृश्य में हमने देखा था कि जहांगीर खान अपनी पत्नी एली पर हाथ उठाता है, तभी उसका बड़ा बेटा उसका हाथ पकड़ लेता है। उसे अब लगता है कि पुराने सामंती मूल्यों के सहारे अब उसका परिवार नहीं चल सकता। ‘वेस्ट इज वेस्ट’ की शुरूआत जहांगीर खान की पाकिस्तान यात्रा से होती है। जहां वह 35 साल पहले अपने परिवार को छोड़ गया था। वह अपने दो बेटों को साथ लाता है और चाहता है कि दोनों पाकिस्तानी की तरह प्रशिक्षित हों। उसे पता चलता है कि इन पैंतीस सालों में सब कुछ वैसा ही नहीं है, जैसा वह छोड़ कर गया था। उसे बहुत ग्लानि होती है कि उसने अपने पहले परिवार की घोर उपेक्षा की है। इसी पारिवारिक संघर्ष पूरब और पश्चिम की संस्कृतियों की टकराहट और नए पुराने मूल्यों की रस्साकसी के बीच फिल्म आगे बढ़ती है। इस फिल्म की शूटिंग भारत के पंजाब प्रांत में हुई थी क्योंकि पाकिस्तान सरकार ने निर्माताओं को इसकी अनुमति नहीं दी थी।
‘वेस्ट इज वेस्ट’ में 1976 के एक पाकिस्तानी गांव के परिवेश की जीवंत तस्वीर पेश की गई है। माहौल को वास्तविक बनाने के लिए छोटी से छोटी बातों का ख्याल रखा गया है। यहां तक की जहांगीर खान का छोटा बेटा साजिद ‘पंजाब’ को ‘पुंजाब’ कहता है क्योंकि अंग्रेजी में उसने पीयूएनजेएबी पढ़ा है। फिल्म मानवीय रिश्तों की परतों के बीच सांस्कृतिक अस्मिता के संघर्ष को ताजगी के साथ प्रस्तुत करती है। पूरी फिल्म में कहीं भी शोर, हिंसा, एक्शन और भड़काऊ चमक-दमक नहीं है। रोब लेन और शंकर अहसान लॉय का अद्भुत सूफी संगीत दर्शकों को एक रूहानी दुनिया में ले जाता है। एक-एक दृश्य खूबसूरत चित्र की तरह है। दृश्यों के रंग चरित्रों के आपसी संवाद और उनके मनोभावों को दिखाते हैं। फिल्म में एक ऐसी दुनिया रची गई है जहां हर पात्र अपनी-अपनी जगह सही होते हुए भी एक अनवरत यातना सह रहा है। अंत में हम देखते हैं कि जब जहांगीर खान की दूसरी पत्नी एली उसे ढूंढते हुए ब्रिटेन से पाकिस्तान पहुंचती है और काफी उहापोह के बाद जहांगीर खान अपने बच्चों के साथ वापस ब्रिटेन लौटने का फैसला करता है तो वह कहता अपनी पहली पत्नी से कहता है ‘’मैंने जो जीवन चुना था, वह यह नहीं है।‘’
ओमपुरी वेस्ट इज वेस्ट के एक दृश्य में |
‘वेस्ट इज वेस्ट’ में जहांगीर खान के केन्द्रीय चरित्र को ओमपुरी ने अपने अभिनय से अविस्मरणीय बना दिया है। लेस्ली एडविन ने फिल्म के प्रदर्शन के मौके पर ठीक ही कहा कि ‘’ओमपुरी विश्व के महान अभिनेताओं में से एक हैं। ‘’ उन्होंने एक पिता, दो पत्नियों के पति, पाकिस्तानी मुसलमान और ब्रिटिश नागरिक के रूपों को एक ही चरित्र में सुंदर तरीके से समायोजित किया है। उनके बचपन की जो दुनिया छूट गई है उसे वे अपने बच्चों के माध्यम से पाना चाहते हैं। लेकिन बच्चों के सामने आधुनिक ब्रिटेन और यूरोप है। फिल्म में संवादों से अधिक चरित्रों का मौन बोलता है। एक विलक्षण दृश्य में जहांगीर खान की पहली पत्नी बशीरा और दूसरी पत्नी एली का संवाद है। बशीरा अंग्रेजी नहीं जानती जबकि एली को पंजाबी नहीं आती। बशीरा पंजाबी बोलती है और एली अंग्रेजी में उसका जवाब देती है। यह दो स्त्रियों का अद्भुत संवाद है। जो दिल की धड़कनों की भाषा से एक दूसरे को समझने की कोशिश करती हैं। बीच-बीच में सूफी संत समय की व्याख्या करते रहते हैं। किशोर साजिद अपनी तरह से पाकिस्तानी गांव में एक नई और रोमांचक दुनिया से परिचित होता है।
फिल्म की निर्माता लेस्ली एडविन ने खचाखच भरे सभागार में हिंदी में दर्शकों से मुखातिब होकर सबको खुश कर दिया। उन्होंने हिंदी में कहा कि इस फिल्म समारोह में ‘वेस्ट इज वेस्ट’ के प्रदर्शन के मौके पर मैं इतनी खुश हूं कि मेरे पैर जमीन पर नहीं हैं।
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