ऐसा क्यूँ होता है?
ये मुहँ से निकलने वाला धुंआ क्या होता है? जब हमारी सांस लेने की क्रिया में वायु फेफड़ों द्वारा बहार निकाली जाती है तो उस में जो जलवाष्पे water vapours होती है | आओ पहले ये जाने कि ये जल वाष्पे सांस में कहाँ से आती है
श्वशन क्रिया के दौरान शरीर में CO2 कार्बनडाईऑक्साइड और पानी H2O बनते है यही पानी जलवाष्प के रूप में फेफड़ों द्वारा वाष्पन के द्वारा मुहँ या नाक से बहार निकाल दी जाती है श्वशन/पाचन के दौरान बनने वाला जल और हमारे द्वारा पीया गया जल भी मूत्र,पसीना,वाष्पीकरण द्वारा ही बाहर आता है|
अब देखें इसकी रासायनिक समीकरण,
Glucose + Oxygen = Carbon Dioxide + Water + Energy
C6H12O6+ 6O2=6CO2+ 6H2O + Energy
आओ अब जाने आगे
सर्दियों में शरीर से बहार यानी कि वायु मंडल का तापमान बहुत कम होता है जैसे ही यह जलवाष्प सांस के साथ बाहर आती है तुरंत ही संघनित Condense कर पानी की छोटी छोटी बूंदों Water Dropletes में बदल जाती है और दिखाई देने लगती है जिसे धुंआ सा कहा जाता है| यह क्रिया हर समय हर मौसम में चलती है तो फिर गर्मियों में क्यूँ नहीं दिखाई देती है यह धुंआ? गर्मियों में बहार का तापमान अधिक होने के कारण ये जलवाष्प संघनित Condense नहीं होने पाती है और जल्दी से पुन्ह वाष्पीकरण हो जाता है | छोटे बच्चे अक्सर गावं में मजाक करते है देखो मै बीडी पी रहा हूँ इस धुवें को दिखा कर |
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