रविवार, 21 नवंबर 2010

सजदा करने को यहां बादल भी झुक आए, मेला श्री कपालमोचन, चौथा दिन

सोच के साथ ही स्थान  का महत्व भी बदल जाता है। इसी  बदली सोच का चश्मदीद बन रहा है कपाल मोचन। जहां पहले खेत थे। शाम ढलते ही कोई नजर नहीं आता था। वहां इन दिनों  हर जगह श्रद्घालु नजर आ रहे हैं। यहां का हर जर्रा श्रद्धा, भक्ति और अध्यात्म के रंग में रंगा हुआ है। भक्ति की ऐसी ब्यार बही कि बादल भी अपने को रोका नहीं पाया। शनिवार को आसमन पर छाए बादल भी मानों यहां सजदा करने आए हो। और इसी के साथ फिजा में घुल गई, गुलाबी ठंड। जिसने यहां के माहौल को और अधिक भक्तिमय बना दिया। कपाल मोचन मेले के दूसरे दिन छह लाख श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच चुके हैं। 

हर कोई रमा रामधुन में
यह अपने आप में रिकार्ड हो सकता है। इतने सारे लोग एक साल राम धुन में रमे हैं। संयासी हो या ग्रहस्थी। सब पूजा अर्चना में जुटे हैं। हर किसी का  एक ही उद्देश्य है। ये तीन दिन उसकी जिंदगी के सबसे बेहतरीन बने। और बेहतरी के लिए राम के नाम का कोई विकल्प नहीं
है। 

सरोवरों पर जुटी भीड़
मेले का मुख्य आकर्षण यहां के सरोवर है। इस बार प्रशासन की पूरी कोशिश है कि सरोवर साफ सुथरे रहे। श्रद्धालुओं को स् नान के लिए स्वच्छ पानी मिले। प्रशासन की इस कोशिश को श्रद्धालुओं ने मुहर लगाई। दिन में ही यहां स् नान करने वालों की लाइन लग गई। हालांकि मुख्य शनिवार रात 12 बजे से शुरू होगा।  जिसकी तैयारी भी देर शाम शुरू हो गई। गउ बच्छा घाट पर तो श्रद्धालुओं को लाइन लगा कर स् नान  व पूजा करनी पड़ रहा है। पुलिस ने उचित व्यवस्था की है। भीड़ को संभालने के लिए पुलिसकर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
हर रंग में रंगा मेला
यहां पंजाब से लोग आए हैं। हरियाणा से हैं। यूपी और उत्तरांचल से भी। दिल्ली से भी श्रद्धालु आ रहे हैं। हर कोई अपनी अलग अलग वेशभूषा में। इससे मेला अलग अलग रंग में रंगा नजर आ रहा है।

फूलों के प्रति बढ़ रहा किसानों का रुझान मेले मे बागवानी विभाग की ओर से भी प्रदर्शनी लगाई गई है। यहां अधिकतर किसान ग्लोडियश की खेती की जानकारी ले रहे हैं। बागवानी अधिकारी पहुप सिंह ने बताया कि किसान ब्राकली की खोती के प्रति भी खासे उत्साहित है। मेले में विभाग की ओर से पहली जिले में उत्पादित जिमिकंद के प्रति भी लोगों में अच्छा खासा उत्साह है।
बुजुर्ग ही नहीं यूथ को भी भाया हिसार का खुंडा चौधर का प्रतीक माना जाने वाले खुंडा इस बार युवाओं को भी भा रहा है। मेले में सबसे अधिक बिकने वाली आइटम में हिसार का खुंडा भी रहता है। इस बार जो बदलाव देखने में आया कि युवा भी इस खुंडे को जम कर खरीद रहा है। विक्रेता बशीर अहमद व बक्शीश सिंह ने बताया कि खुंडा अलग अलग साइज में होता है। यह तीन फीट से लेकर साढ़े फीट तक होता है। इसकी कीमत साढ़े चार सौ रुपए तक है। जिसे रंगीन पत्थर व तार और पीतल से सजाया गया है। 

नुकरा घोड़ा बना आकर्षण
मेले में पशु मंडी का आयोजन किया गया है। इसकी खाशियत यह है कि यहां बहुत कीमत के घोड़े व अन्य पशु आते है। जिस पर खरीददार अच्छी खासी कीमत देते हैं। इसी क्रम में इस बार रामकुमार चहल चार माह के घोड़े को लेकर आया है। इसकी कीमत सवा लाख लग चुकी है। उधर राजेंद्र सिंह ने बताया कि उसका घोड़ा चालीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भाग सकता है। रेविया  चाल का माहिर यह घोड़ा इतनी सहजता से चलता है कि सवार इस पर सौ भी सकता है। इतना ही नहीं अपना बेलेंस भी आराम से बना सकता है।

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