सोमवार, 30 मई 2011

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 2011 : World No Tobacco Day 31-05-2011

विश्व तम्बाकू निषेध  दिवस 2011 World No Tobacco Day 2011
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 
३१-०५-११ 
 निकोटियाना प्रजाति की वनस्पति  के पत्तों को सुखा कर नशा करने के लिए तम्बाकू तैयार किया जाता है; दुनिया का काफी प्राचीन नशा करने का पदार्थ होने के कारण यह आज भी बहुत प्रचलित है तम्बाकू का नशा दो प्रकार से किया जाता है चबा कर या फिर धुंआ बना कर यानी धूम्रपान के द्वारा, चबाने वाले तम्बाकू पान में, पान मसाला, खैनी, मूसा का गुल, गुटखा, तम्बाकू का पानी, मावा, सनस, मिश्री, बज्जर, मैनपुरी स्टायल, जर्दा, क्रीमी तम्बाकू आदि प्रकार प्रचलित हैं | जबकि धूम्रपान प्रकार मे पूरी दुनिया मे तम्बाकू प्रयोग मे लाया जाता है सिगरेट,बीडी,सिगार,पाईप,चुरुट,हुक्का,हुक्ली,चिलम आदि सस्ते नशे की तलाश मे गरीब बंदे की  सायकिल पान बीडी के खोखे पर रुकती है. और 2 से 7 रुपयों मे दिन भर का नशे का सामान खरीद लेता है और चढ़  जाता है कैंसर के ट्रैक पर असीमित दुखों की यात्रा पर बेमौत मरने के लिए.

एक बार सन 1997 की बात है मै विज्ञान प्रदर्शनी के लिए हैदराबाद गया हुआ था मेरे एक साथी को राज दरबार,गोवा नामक पान मसाला उर्फ गुटका चबाने की आदत थी जब वो हैदराबाद पहुंचा तो उसे पता चला कि यहाँ गुटके पर बैन है और नहीं मिलते,उस के तो होश उड़ गए और बोला कि 12 दिन कैसे कटेगें. मैंने सोचा अब 12 दिन माल ना मिलने के कारण शायद इस की आदत छूट जाए परन्तु उस ने अगले दिन सुबह तक 1 रूपये वाले गुटके को 5 रुपयों मे खरीदना तय कर लिया किसी पान वाले से; और उन 12 दिनों मे उस ने 700-800 रूपये उस पान वाले के पास गुटकों की खरीद मे लगा दिए और जिस काम के लिए वास्तव मे वो गया था यानी प्रदर्शनी उस मे कोई खास रूचि नहीं दिखाई.

यहाँ तीन प्रश्न उठते हैं? 
 सरकारों को, 
१.  क्या तम्बाकू उत्पादों  बैन कर देना सही उपाय है ?
२.  क्या इन  तम्बाकू उत्पादों  को बहुत महंगा कर देना चाहिए ?
३.  क्या इनका उत्पादन सिर्फ सरकार ही करे और इनको भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत ले लें?

तम्बाकू सेवन के कुछ रोचक तथ्य, 
-धूम्रपा 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ  .
-कई सभ्यताओं ने प्राचीन काल मे तम्बाकू को धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान इसे सुगंध उत्पन्न करने के लिए जलाया.
-विश्व में तम्बाकू 1500 इस्वी के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ .
-तम्बाकू की सर्वथा आलोचना हुई.
-तम्बाकू बहुत हद तक मदिरा का स्थान लेने मे कामयाब हुआ.
-धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर का सम्बन्ध पता चलने के बाद इसका प्रचलन कुछ कम हुआ.
-तम्बाकू के धुआं मे उपस्थित हज़ारों रसायन हृदय गति, स्मृति और सतर्कता  और प्रतिक्रिया की अवधि को बढ़ा देता है.
-तम्बाकू पुरुषों के साथ साथ महिलाओं मे भी प्रचलित है.
-गरीबों में अमीरों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है.
-विकासशील देशों के लोगों में विकसित देशों के लोगों की तुलना धूम्रपान की संभावना अधिक होती है.
-धूम्रपान/चबाने के अलावा दर्दनिवारक दवा के रूप में भी तम्बाकू का उपयोग होता है. 
-नगदी फसल के रूप मे उगाए जाने के बाद तम्बाकू को भूरा सोना कहा गया.
-तम्बाकू की खेती की  ज़मीन की उर्वरा शक्ति शीघ्र ही कम हो जाती है.
-सन 2000 में 1.22 लोग धूम्रपान करते थे , 2010 में 1.45 बिलियन लोग और 2025 में 1.5 से 1.9 बिलियन लोग धूम्रपान कर रहें होंगे.
आओ 31-05-2011 को तम्बाकू निषेध दिवस पर तम्बाकू के प्रयोग के खिलाफ माहौल  तैयार करें और नयी पीढ़ी को इसके प्रभावों से बचाएं. 

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्‍छी जानकारी।

    आज की दैनिक जागरण ने अपने यमुनानगर एडीशन पर भी इस संबंध में आज एक न्‍यूज एंकर लगाया है जिसमें उसका सर्वेक्षण बताता है कि जिले के 35 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं और देश में साल भर में सात अरब 18 करोड का तंबाकू गटक जाते हैं। इससे होने वाले कैंसर से औसतन महीने में चार लोगों की जान जाती है।


    अगर इन व्‍यसनों से बचा जाये तो एक तो पैसे की बचत होगी और दूसरा स्‍वास्‍थ्‍य भी अच्‍छा रहेगा।

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टिप्पणी के लिये धन्यवाद।