मंगलवार, 8 मार्च 2011

बदलनी होगी महिलाओं के प्रति सोच: यादव


जब तक महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में बदलाव नहीं होगा, तब तक स्थिति में ज्यादा सुधार की गुंजाइश नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी महिलाएं परिवार के सभी लोगों को खाना खिलाने के उपरांत खुद पतीला चाटती नजर आती है। क्योंकि वह ऐसा करना अपना धर्म समझती है। उक्त शब्द कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग की प्रोफेसर लीला यादव ने डीएवी गल्र्स कालेज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हरियाणा में महिलाओं की स्थिति विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान कहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने की।
प्रोफेसर यादव ने कहा कि हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति ज्यादा बढिय़ा नहीं है। घटते लिंगानुपात के कारण लोग २० से २५ हजार रुपए में दूसरे राज्यों से दुल्हन खरीदकर ला रहे हैं। जबकि प्रदेश में एक भैंस की कीमत ६० हजार रुपए हैं। हालांकि शिक्षा के बढ़ते प्रभाव की वजह से थोड़ा बहुत बदलाव जरुर आया है, लेकिन उतना नहीं। राजनीति में महिलाओं ने कुछ जगह बनाने की कौशिश की है, ग्रास रूट लेवल पर आरक्षण होने की वजह से महिलाओं की भागेदारी ज्यादा बढ़ी है। लेकिन महिला सरपंच व पंच आज भी पुरुष के हाथों की कटपुतलियां है। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश के विकास में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, इसलिए उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता। घर के पैसे में महिला का भी उतना ही अधिकार होना चाहिए, जितना पुरुष का। महिलाओं को शिक्षित करना बेहद जरुरी है। ताकि सामाजिक बुराइयों के बंधन को तोड़ा जा सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक सिस्टम महिलाओं के हक में नहीं है। इन सभी समस्याओं से लडक़र ही महिलाओं को खुद की जगह बनानी होगी।
पंजाबी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डा. सुनील देवी ने हरियाणा लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीद्वरों की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजनीति में महिला उम्मीद्वरों की भागेदारी बहुत कम है। लीडरशीप में भी महिलाओं को हायर पोस्ट नहीं मिली। उन्होंने सामाजिक ढांचे को बदलने पर जोर दिया।
डीएवी गल्र्स कालेज के समाजशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सीमा सेठी ने कहा कि प्रदेश में लड़कियों को कम तव्वजो दी जाती है। शिक्षा का स्तर भी बढिय़ा नहीं है। मल्टीनेशनल कंपनीज़ में मैनेजर्स की पोस्ट पर महिलाएं बहुत कम है। उसमें भी हरियाणा की महिलाओं की भागेदारी बहुत कम है। उन्होंने कहा कि सामाजिक ढांचे को बदलने की जरुरत है।  तनमीत जगदेव ने लड़कियों की किशोरावस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लड़कियों को स्वावलंबी बनाने के लिए डीएवी गल्र्स कालेज ने उड़ान प्रोजेक्ट की शुरूआत की है। जिसमें उन्हें कंप्यूटर शिक्षा के साथ-साथ जुड़ों कराटे भी सिखाए जा रहे हैं। ताकि वे स्वयं आत्मरक्षा कर सकें। 

प्रभजोत कौर ने हिंदी महिला कथाकारों के उपन्यासों में स्त्री विमर्श पर विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा ने नारी को स्वतंत्रता प्रदान की है। डा. मीनू जैन ने प्रदेश की ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला। अंबिका शर्मा ने क्राइम अंगेस्ट विमैन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापिका आंचल ने हरियाणा की ग्रोथ में महिलाओं की क्या भूमिका है, इसके बारे में बताया। जबकि रितू कंग ने प्रदेश में महिलाओं की स्थिति को आंकड़ों के जरिए प्रस्तुत किया। कालेज के मास कम्यूनिकेशन विभाग के प्राध्यापक परमेश त्यागी ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर महिलाएं की दिक्कतें आज भी कम नहीं हुई है। बेटे की चाह या फिर सास-ससुर व ननद के तानों के जरिए उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। जब तक महिलाएं खुद जागरूक नहीं होगी, इस प्रकार की समस्याओं से उन्हें दो-चार होना ही पड़ेगा। संगोष्ठ के दौरान ज्योति नरूला व राजेश कुमार ने भी अपने विचार रखें। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में असिस्टेंट प्रोफेसर मलकीत सिंह व अर्चना रावत ने सहयोग दिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के लिये धन्यवाद।