बुधवार, 24 नवंबर 2010

ओबामा और हाथी घोड़े

अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा भारत घूमे। भारत धन्‍य हो गया। अब जल्‍दी ही धन-धान्‍य से लबालब हो जाएगा। बराक ओबामा सचमुच में खूब खुशदिल इंसान हैं। वे मक्खियों को चिढ़ाने के लिए ऊंट घोड़ों का सहारा ले रहे हैं। उन्‍होंने कहा है कि वे ऊंट घोड़ों को अपने देश ले जाना चाहेंगे। शुक्र तो यह रहा कि उन्‍होंने यह नहीं कहा कि वे ऊंट और घोड़ों के लश्‍कर पर ही वापिस अमेरिका लौटना चाहते हैं। परंतु मजाक में ही सही अपने साथ ले जाने का खुलासा करके उन्‍होंने मासूम मक्खियों का दिल तोड़ दिया है। वे बंदरों और कुत्‍तों के बारे में इसलिए नहीं कह पाए कि उन्‍हें इनके आगमन पर नजरबंद कर दिया था। वरना उंट की क्‍या औकात कि उसे कोई अमेरिकी ले जाए, बंदर ने कहा। वैसे चूहों का जिक्र न किए जाने पर चूहे अमेरिकी राष्‍ट्रपति से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। वे तो ये भी कह रहे हैं कि अब अमेरिका को अपने कंप्‍यूटर बिना माउस के ही चलाने होंगे, हम सब माउसों को भी अमेरिका के विरूद्ध अपनी नाराजगी में सम्मिलित करके, हड़ताल करवाकर रहेंगे।
हाथी मेरे सामने क्‍या है, कुत्‍ता कह रहा है। हाथी ने सदा ये यह प्रचारित कर रखा है कि हाथी अपनी चाल चलते हैं और कुत्‍ते भौंकते रहते हैं जबकि हाथी को शायद मालूम नहीं है कि हाथी अपनी राह चले, न चले,राह पर हो, न हो कोई फर्क नहीं अलबत्‍ता हम तो वैसे ही भौंकते रहते हैं। हमारा यह गुण प्रकृति-प्रदत्‍त है।
हाथी का कहना है कि वे कुत्‍तो से पंगे लेकर अपनी छवि नहीं खराब करना चाहते हैं। कुत्‍ते तो यूं ही खूब कुख्‍यात हैं, फिर वे खंबा देखते ही अजीब सी हरकत करने की बीमारी से खानदानी रूप से ग्रस्‍त हैं। इसलिए ये कहीं पर भी अपनी टांग उठा देते हैं, हम इनके भौंकने पर भी इसलिए गतिमान रहते हैं क्‍योंकि गर हम रूक गए तो ये हमारे पैरों को भी खंबा समझकर ....

ऊंट ने भी बंदरों द्वारा उन्‍हें टेढ़ा बतलाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है कि बंदर चाहे टेढ़ा नहीं है। पर वे शरारतें तो सभी टेढ़ी ही करता है। कूदता ही नहीं है सिर्फ, उछलता है मचलता है फर्लांगता है। बंदर है न, किधर को भी कूद जाता है।
यह ओबामा की कलाकारी ही थी कि उसने ऊंट और घोड़े को तो ले जाने की चाहत प्रकट करके इनका मन जानना चाहा था और मालूम हुआ कि अमेरिका जाने के प्रति इंसानों में ही नहीं जानवरों में भी हद दर्जे की दीवानगी है। ऊंट और हाथी रक्षक की भूमिका नहीं निभा सकते हैं जबकि अंगरक्षकों की समूची सुरक्षा कुत्‍तों और बंदरों द्वारा ही पॉसीबल है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के लिये धन्यवाद।