शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

साधुओं ने भी रमाई धुनी , मेला श्री कपाल मोचन - दूसरा दिन

कपाल मोचन के दूसरे दिन भी श्रद्धालुओ के आने का क्रम जारी है। अभी तक डेढ़ लाख के करीब श्रद्धालु मेले में आ चुके हैं। दूसरे दिन भी अलग अलग सरोवर पर स्नान व पूजा अर्चना आयोजित होती रही। साल में ३६० दिन तक वीरान रहने वाला इस क्षेत्र में इन दिनों पांव रखने की भी जगह नहीं है। हालात यह है कि खेतों में भी टेंट लग चुके हैं। ध्यान रहे कपाल मोचन मेला इस बार २१ नवंबर तक चलेगा। यहां ऐसे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या है, जो पांच दिन तक यहां रहते हैं। इस दौरान वे टेंट किराए पर लेकर अपनी दिनचर्चा चलाते हैं। इस दौरान श्रद्धालु स् नान और पूजा अर्चना करते हैं। समय मिलता है तो आस पास के मंदिरों में भी शीश नवाते हैं।
 
साधु भी लग गए जुटने 
 मेले में बड़ी संख्या साधुओं की भी रहती है। देश के अलग अलग स्थान से साधु यहां जुट गए हैं। उन्होंने यहां अपनी धुनी रमानी शुरू कर दी है। इस दौरान यहां का पूरा माहौल भक्तिभावना से भरा रहता है। श्राइन बोर्ड बनने से इस बार साधुओं को धुनी रमाने के लिए सुरज कुंड से दूर जगह दी गई है। जिससे उनमें गहरा रोष है। डेरा खत्म होने से उनके सामने लकड़ी व इंधन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। 

किया गया दीप दान
कार्तिक मास में जहां अन्न व धन दान का विशेष महत्व है। वहीं इसमें दीप दान का भी विशेष महत्व माना गया है। इसी परंपरा को निर्वाह करते हुए पवित्र सरोवर में स् नान कर दीप दान करते हैं। इस परंपरा का पालन न सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग करते हैं, बल्कि सिख भी यह परंपरा निभाते हैं।
मेले का विधिवत उद्धाटन आज
सरकारी तौर पर मेले का उद्घाटन आज किया जाएगा। इस मौके पर डीसी अशोक सांगवान मुख्य अतिथि रहेंगे। सुबह 11 बजे पूजा अर्चना के बीच मुख्य अतिथि   मेले के शुभारंभ की औपचारिक घोषणा करेंगे। इस मौके पर प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें सरकारी विभाग की योजनाओं को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
मेले के लिए चली २५० बस
दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हरियाणा रोडवेज ने २५० बस अलग अलग रूट पर चलाई है। यह बस अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, जगाधरी, नारयणगढ़, दिल्ली,पिहोवा, जींद व भिवानी क्षेत्र से आ रही है। इसके अलावा पंजाब व राजस्थान से भी वहां की बस लेकर आ रही है।
 


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